वेनेजुएला विपक्ष नेता मारिया कोरिना माचाडो को नोबेल शांति पुरस्कार: तानाशाह मदुरो के खिलाफ साहसिक संघर्ष का बड़ा संदेश



ओस्लो/काराकास, 10 अक्टूबर. वेनेजुएला की प्रमुख विपक्ष नेता मारिया कोरिना माचाडो को 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एक मजबूत संदेश दिया है: लोकतंत्र की रक्षा करने वाले साहसी व्यक्तियों को मान्यता मिलनी चाहिए। नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने माचाडो को “वेनेजुएला के लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए उनके अथक प्रयासों” और “तानाशाही से लोकतंत्र की न्यायपूर्ण और शांतिपूर्ण संक्रमण की लड़ाई” के लिए यह सम्मान दिया। यह पुरस्कार न केवल माचाडो के व्यक्तिगत साहस को मान्यता देता है, बल्कि वेनेजुएला में राष्ट्रपति निकोलस मदुरो की तानाशाही के खिलाफ चल रहे संघर्ष को वैश्विक पटल पर उजागर करता है। माचाडो ने पुरस्कार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को समर्पित करते हुए कहा, “यह वेनेजुएला के लोगों की जीत है, जो लोकतंत्र की लौ जलाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।”
यह पुरस्कार वेनेजुएला के संकटपूर्ण राजनीतिक परिदृश्य में एक बड़ा झटका है, जहां मदुरो सरकार विपक्ष को कुचलने के लिए दमन, प्रचार और कानूनी हथकंडे अपना रही है। माचाडो को “लोहा महिला” (Iron Lady) कहा जाता है, जो पिछले एक वर्ष से काराकास में छिपकर रह रही हैं, क्योंकि मदुरो शासन ने उनकी जान पर खतरा पैदा कर दिया है। अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों के अनुसार, 2024 के राष्ट्रपति चुनावों में विपक्ष ने भारी जीत हासिल की थी, लेकिन मदुरो ने इसे चुरा लिया, जिससे देश में आर्थिक संकट और 80 लाख से अधिक लोगों का पलायन हुआ। नोबेल समिति के चेयरमैन जोरगेन वाटने फ्राइडनेस ने कहा, “लोकतंत्र दुनिया भर में पीछे हट रहा है। माचाडो लैटिन अमेरिका में नागरिक साहस का असाधारण उदाहरण हैं।”
माचाडो का साहसिक सफर: तानाशाही के खिलाफ अथक संघर्ष
मारिया कोरिना माचाडो (58 वर्ष) एक औद्योगिक इंजीनियर और उद्यमी हैं, जिन्होंने 2002 में सुमेटे संगठन की स्थापना की, जो लोकतांत्रिक विकास और स्वतंत्र चुनावों के लिए काम करता है। 2010 में वे राष्ट्रीय सभा (संसद) के लिए रिकॉर्ड वोटों से चुनी गईं, लेकिन 2014 में मदुरो सरकार ने उन्हें पद से हटा दिया। इसका कारण था उनकी OAS (अमेरिकी राज्यों संगठन) में मानवाधिकार उल्लंघनों के खिलाफ भाषण। राष्ट्रपति डायोसदादो काबेलो ने इसे “संविधान का उल्लंघन” बताकर उनकी संसदीय सदस्यता रद्द करवा दी। माचाडो ने इसे “राष्ट्रीय सभा में तानाशाही” करार दिया और कहा कि यह अवैध है।
2023 में विपक्ष प्राइमरी में 92% वोटों से जीतकर वे 2024 राष्ट्रपति चुनावों की एकमात्र उम्मीद बनीं, लेकिन मदुरो नियंत्रित अदालतों ने उन्हें उम्मीदवारी से अयोग्य घोषित कर दिया। उन्होंने एडमुंडो गोंजालेज को अपना उत्तराधिकारी बनाया, जिन्हें अमेरिका और यूरोपीय संघ ने वैध राष्ट्रपति के रूप में मान्यता दी। चुनाव परिणामों के अनुसार, विपक्ष ने 70% से अधिक वोट हासिल किए, लेकिन चुनाव आयोग ने मदुरो को विजेता घोषित कर दिया। इसके बाद माचाडो ने छिपकर अभियान चलाया, लाखों वोटर रसीदों को संरक्षित किया और विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व किया। जनवरी 2025 में एक विरोध रैली के दौरान उन्हें गिरफ्तार किया गया, लेकिन सहयोगियों के दबाव से रिहा कर दिया गया।
माचाडो ने कहा, “मैं वेनेजुएला छोड़कर नहीं गई, क्योंकि यह मेरी जिम्मेदारी है। हम लोकतंत्र की संक्रमण की दहलीज पर हैं।” उनका Vente Venezuela पार्टी और Soy Venezuela गठबंधन ने विपक्ष को एकजुट किया, जो पहले विभाजित था।
मदुरो का दमन और प्रचार युद्ध: विपक्ष को बदनाम करने की साजिश
मदुरो शासन ने माचाडो को कुचलने के लिए हर संभव हथकंडा अपनाया है। उनकी संसदीय सदस्यता रद्द करने के बाद, सरकार ने उन्हें राजद्रोह, साजिश और हत्या के झूठे आरोप लगाए। 2014 के विरोध प्रदर्शनों में उन्हें “विदेशी साजिश का हिस्सा” बताया गया। 2024 चुनावों के बाद, मदुरो ने 1,300 से अधिक विपक्षियों को गिरफ्तार कराया, जिसमें कार्यकर्ता, पत्रकार और साधारण नागरिक शामिल हैं। माचाडो को “La Sayona” (वेनेजुएला की एक भयानक भूतनी) कहकर मजाक उड़ाया जाता है, जो एक लोककथा से लिया गया नाम है, जिसमें एक बदला लेने वाली महिला का वर्णन है।
मदुरो का “गोदी मीडिया” (सरकारी नियंत्रित मीडिया) रोजाना माचाडो को बदनाम करने वाले शो चलाता है। Tun Tun नामक प्रचार वीडियो में उन्हें हिंसक और विदेशी समर्थित दिखाया जाता है। सैन्य खुफिया एजेंसी DGCIM के इंस्टाग्राम पर माचाडो के सहयोगी मारिया ओरोपेजा की गिरफ्तारी को हॉरर फिल्म “A Nightmare on Elm Street” के थीम सॉन्ग के साथ दिखाया गया। मदुरो ने उन्हें “विदेशी हस्तक्षेप की एजेंट” कहा, खासकर जब अमेरिका ने उनके समर्थन में नौसेना तैनात की। माचाडो ने कहा, “मदुरो के पास अब सिर्फ आतंक बाकी है। वे हमारे दरवाजे पर दस्तक देकर आजादी और जीवन छीन लेते हैं।”
मानवाधिकार संगठन फ्रीडम हाउस के अनुसार, 1999 से वेनेजुएला के लोकतांत्रिक संस्थान बिगड़े हैं, और मदुरो के तहत दमन चरम पर है। 8 मिलियन वेनेजुएलावासी देश छोड़ चुके हैं। ह्यूमन राइट्स वॉच की जुआनिता गोएबर्टस ने कहा, “यह पुरस्कार वेनेजुएला में शांतिपूर्ण संक्रमण के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों को पुनर्जीवित करेगा।”
पुरस्कार का वैश्विक प्रभाव: ट्रंप को समर्पण और भविष्य की उम्मीदें
माचाडो ने पुरस्कार को ट्रंप को समर्पित किया, जिन्होंने मदुरो के खिलाफ 50 मिलियन डॉलर का इनाम घोषित किया और कैरेबियन में नौसेना तैनात की। ट्रंप के प्रवक्ता स्टीवन चेउंग ने कहा, “नोबेल समिति ने राजनीति को शांति पर तरजीह दी।” यूरोपीय संसद की अध्यक्ष रॉबर्टा मेट्सोला ने कहा, “माचाडो का संघर्ष लाखों को प्रेरित करता है।” फ्लोरिडा में वेनेजुएली समुदाय ने उत्सव मनाया, जहां सीनेटर रिक स्कॉट ने कहा, “माचाडो बहादुरी की मिसाल हैं।”




विशेषज्ञों का मानना है कि यह पुरस्कार मदुरो पर दबाव बढ़ाएगा, लेकिन सैन्य समर्थन के कारण उनका पतन मुश्किल है। क्रिस्टोफर सबाटिनी (चैथम हाउस) ने कहा, “यह जन प्रदर्शनों को प्रेरित कर सकता है।” माचाडो ने कहा, “हम बहुत करीब हैं। ट्रंप, अमेरिका और लैटिन अमेरिका के लोगों का समर्थन हमें शक्ति देता है।”
यह पुरस्कार न केवल वेनेजुएला के लिए, बल्कि दुनिया भर में लोकतंत्र के पतन के खिलाफ एक चेतावनी है। नोबेल समिति ने 338 उम्मीदवारों (244 व्यक्ति, 94 संगठन) में से माचाडो चुनीं, जो 2024 के कार्यों के लिए है। पुरस्कार समारोह दिसंबर में ओस्लो में होगा।



