गंगाशहर में शासनश्री मुनि मणिलालजी की स्मृति सभा आयोजित



मुनिश्री कमलकुमार ने दिया पटाखों से परहेज का संदेश




गंगाशहर। (विशेष संवाददाता), 19 अक्टूबर। श्री जैन श्वेताम्बर तेरपंथी सभा, गंगाशहर के तत्वावधान में रविवार, 19 अक्टूबर 2025 को उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमलकुमार जी स्वामी के पावन सान्निध्य में दीपावली उत्सव के उपलक्ष्य में तृदिवसीय तप-जप का विशेष आयोजन किया गया। इसी अवसर पर शासनश्री मुनिश्री मणिलालजी स्वामी की स्मृति सभा भी आयोजित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई।



पटाखों से पूर्ण परहेज करें: मुनिश्री कमलकुमार
मुनिश्री कमलकुमार जी स्वामी ने इस अवसर पर फरमाया कि भगवान महावीर ने साधुओं और श्रावकों के लिए जो महाव्रत और अणुव्रत नियम बताए हैं, उनमें पहला नियम अहिंसा है। साधु के लिए अहिंसा महाव्रत और श्रावक के लिए यह अहिंसा अणुव्रत है। उन्होंने विशेष रूप से दीपावली के अवसर पर श्रद्धालुओं को पटाखों से पूर्ण परहेज करने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि पटाखों से अर्थ, स्वास्थ्य और समय की बरबादी होती है, आग का भय बना रहता है और प्रदूषण बढ़ने से स्वास्थ्य पर गलत असर होता है
अखंड जाप और तपस्या का क्रम
मुनिश्री की पावन प्रेरणा से तीन दिन का अखंड जाप रखा गया है। बड़ी संख्या में भाई-बहनों ने एकाशन, उपवास, बेले और तेले के प्रत्याख्यान (संकल्प) किए। सुश्राविका उपासिका ज्ञानशाला की प्रशिक्षिका कनकदेवी गोलछा ने इस अवसर पर 28 दिन की तपस्या का प्रत्याख्यान किया, जो गंगाशहर में श्रद्धा का विषय बना।
शासनश्री मणिलालजी स्वामी को श्रद्धांजलि
स्मृति सभा में मुनिश्री कमलकुमारजी स्वामी ने शासनश्री मुनिश्री मणिलालजी स्वामी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए फरमाया कि वे वर्तमान में तेरापंथ समाज में दीक्षा पर्याय व उम्र में सबसे बड़े थे। उन्होंने गुरुदेव श्री तुलसी से दीक्षा ग्रहण की और सेवाभावी भाईजी महाराज मुनि श्री चम्पालालजी स्वामी तथा सागरमलजी स्वामी श्रमण की अंतिम समय तक छाया बनकर सेवा की। आचार्य श्री महाश्रमण जी ने उन्हें शासनश्री संबोधन से अलंकृत किया था। उनकी अंतिम सेवा का अवसर युवासंत अतुलकुमार जी को मिला। मुनि श्रेयांस कुमार जी ने उनकी विशेषताओं का उल्लेख करते हुए नव निर्मित दोहों का संगान किया, जबकि मुनि विमल बिहारी जी ने उनके साथ प्रवास के अपने संस्मरण सुनाए। मुनिश्री कमलकुमार जी ने दोहों का संगान करते हुए परिषद् में चार लोगस्स का सामूहिक ध्यान करवाकर उनकी आत्मा की उत्तरोत्तर विकास की मंगलकामना की।

