डॉ. दिलीप धींग की नई काव्यकृति ‘समय के अश्व’ का मुनियों को भेंट

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साहुकारपेट , 4 दिसम्बर। अणुव्रत लेखक पुरस्कार से सम्मानित और अणुव्रत समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. दिलीप धींग ने अपनी स्वलिखित नई काव्यकृति ‘समय के अश्व’ को मुनि रश्मिकुमारजी और मुनि दीपकुमारजी को भेंट किया । यह साहित्यिक भेंट उस आध्यात्मिक सान्निध्य में हुई, जहाँ डॉ. धींग को उनके कार्यों के लिए सराहना मिली।
डॉ. धींग का परिचय और साहित्यिक यात्रा
डॉ. दिलीप धींग अणुव्रत समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हैं और उन्हें 2016 में आचार्य श्री महाश्रमणजी के सान्निध्य में अणुव्रत लेखक पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। अणुव्रत समिति के उपाध्यक्ष स्वरूप चन्द दाँती ने डॉ. धींग के साहित्यिक योगदानों पर प्रकाश डाला, जिसमें हिंदी साहित्य, प्राकृत भाषा और अणुव्रत आंदोलन के लिए किए जा रहे उनके कार्य शामिल हैं। डॉ. धींग ने बताया कि उनकी साहित्य यात्रा का शुभारंभ पहाड़ों पर बसे छोटे से गाँव बंबोरा में कविता से हुआ था, जो अब विभिन्न विधाओं में गतिमान है।

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‘समय के अश्व’ और अन्य भेंट
उनकी नई काव्यकृति ‘समय के अश्व’ को अभुषा फाउंडेशन ने प्रकाशित किया है, और डॉ. धींग के अनुसार, इसमें अधिकांश कविताएं उनके विद्यार्थी जीवन के अनुभवों को दर्शाती हैं। इस अवसर पर तेरापंथ सभा कोयंबत्तूर के पूर्व अध्यक्ष प्रेम सुराणा ने भी एक साहित्यिक भेंट की। उन्होंने डॉ. धींग को मुनि रश्मिकुमारजी द्वारा संपादित ‘मेरी धर्मयात्रा’ पुस्तक भेंट की, जो शासनश्री मुनि धर्मचंदजी ‘पीयूष’ की आत्मकथा है। इस धार्मिक और साहित्यिक कार्यक्रम में मुनि प्रियांशुकुमारजी, मुनि काव्यकुमारजी, और अणुव्रत समिति की प्रचार-प्रसार सचिव शांति दुधोडिया सहित कई श्रावक-श्राविकाएँ उपस्थित थे।

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