धर्म त्याग और संयम का मार्ग, इसे धन से नहीं खरीदा जा सकता- एस.पी. सामसुखा


गंगाशहर, 21 दिसम्बर। आचार्य श्री भिक्षु जन्म त्रि-शताब्दी वर्ष के पावन उपलक्ष्य में रविवार को आशीर्वाद भवन, गंगाशहर में “तेरापंथ-मेरा पंथ” कार्यशाला का भव्य आयोजन किया गया। उग्र विहारी तपोमूर्ति मुनि श्री कमल कुमार जी के पावन सान्निध्य और तेरापंथी सभा गंगाशहर के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यशाला में धर्म की मूल अवधारणा और तेरापंथ दर्शन पर गहन विमर्श हुआ। कार्यक्रम में मुनि श्री ने आचार्य भिक्षु के योगदान को रेखांकित करते हुए एक अनुशासित धर्मसंघ की महत्ता पर प्रकाश डाला।



आचार्य भिक्षु: सत्य और अनुशासन के दृष्टा
कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुनि श्री कमल कुमार जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु ने भगवान महावीर की वाणी को सरल और सुबोध बनाकर जन-जन तक पहुँचाया। उन्होंने बताया कि तेरापंथ के साधु पाँच महाव्रत, पाँच समिति और तीन गुप्ति के तेरह नियमों का पालन करते हुए आत्म-कल्याण के मार्ग पर बढ़ते हैं। मुनि श्री ने जोर देकर कहा कि आचार्य भिक्षु ने धर्मसंघ की चिरजीविता के लिए ‘एक आचार्य, एक विचार और एक समाचारी’ की जो मर्यादा बनाई, वह आज पूरे विश्व के लिए अनुकरणीय है। उन्होंने व्यक्तिगत शिष्य प्रथा को समाप्त कर संघ को एक सूत्र में पिरोने का महान कार्य किया।



धर्म अनमोल है, धन संसार का कार्य: सूर्यप्रकाश सामसुखा
कार्यशाला के मुख्य प्रशिक्षक और उपासक श्रेणी के राष्ट्रीय संयोजक सूर्यप्रकाश सामसुखा ने अपने ओजस्वी विचारों से प्रतिभागियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “धर्म धन से नहीं खरीदा जा सकता और न ही धन से धर्म होता है। धन संसार का कार्य है, जबकि धर्म आत्मा को पाप से बचाने की प्रवृत्ति है।” उन्होंने आचार्य भिक्षु के सिद्धांतों का विवेचन करते हुए बताया कि त्याग, व्रत, संयम और अहिंसा ही वास्तविक धर्म हैं। सामसुखा ने दान, दया और पूजा की बारीकियों को समझाते हुए स्पष्ट किया कि जहाँ हिंसा है, वहाँ धर्म का अस्तित्व संभव नहीं है।

400 प्रतिभागियों ने सीखा तत्व ज्ञान
सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक चली इस कार्यशाला में लगभग 400 श्रद्धालुओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। प्रश्नोत्तरी सत्र के दौरान सामसुखा ने प्रतिभागियों की जिज्ञासाओं का शालीनता से समाधान कर गुरु-आस्था का परिचय दिया। इस अवसर पर तेरापंथ सभा के अध्यक्ष नवरतन बोथरा ने अतिथियों का स्वागत किया, जबकि मंत्री जतनलाल संचेती ने कार्यक्रम का कुशल संचालन किया। जैन लूणकरण छाजेड़ , अमरचंद सोनी व सभा के पदाधिकारियों द्वारा मुख्य वक्ता सूर्यप्रकाश सामसुखा और प्रायोजक भंवरलाल विजय सिंह डागा परिवार का साहित्य एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान किया गया। अंत में सहमंत्री पीयूष लूणिया ने सभी का आभार व्यक्त किया।








