शहादत और साहित्य का संगम- बीकानेर की पांच विभूतियों को मिला ‘शहीद अशफ़ाक़ उल्लाह ख़ां वारसी सम्मान 2025’


बीकानेर, 22 दिसम्बर । महान क्रांतिकारी शहीद अशफ़ाक़ उल्लाह ख़ां वारसी ‘हसरत’ के 98वें यौमे-शहादत के अवसर पर फ्रेंड्स एकता संस्थान द्वारा आयोजित तीन दिवसीय समारोह का समापन सोमवार को एक भव्य सम्मान समारोह के साथ हुआ। समारोह में कला, साहित्य, पत्रकारिता और समाज सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाली नगर की पांच विशिष्ट शख्सियतों को ‘शहीद अशफ़ाक़ उल्लाह ख़ां वारसी सम्मान 2025’ से नवाजा गया।


सम्मानित प्रतिभाएं और उनके क्षेत्र


संस्थान के अध्यक्ष वली मोहम्मद ग़ौरी ने बताया कि इस वर्ष उर्दू साहित्य (अदब) के लिए शायर इरशाद अज़ीज़, हिंदी साहित्य के लिए वरिष्ठ कवयित्री इंद्रा व्यास, राजस्थानी साहित्य के लिए डॉ. नमामीशंकर आचार्य, पत्रकारिता के क्षेत्र में वरिष्ठ पत्रकार हरीश बी. शर्मा और समाज सेवा के लिए युवा समाजसेवी सिकंदर राठौड़ को सम्मानित किया गया। सभी प्रतिभाओं को माल्यार्पण कर, शॉल, श्रीफल और प्रशस्ति पत्र भेंट किए गए।
शहादत और साझी संस्कृति पर मंथन
समारोह की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कथाकार कमल रंगा ने कहा कि बीकानेर अपनी साझी संस्कृति के लिए जाना जाता है। उन्होंने अशफ़ाक़ और बिस्मिल की जोड़ी को शहादत और समर्पण का प्रेरणा पुंज बताया। मुख्य अतिथि प्रादेशिक परिवहन अधिकारी (RTO) अनिल पंड्या ने जोर दिया कि शहीदों के जीवन से प्रेरणा लेकर हमें राष्ट्र की एकता और अखंडता को मजबूत करना चाहिए। वहीं, विशिष्ट अतिथि पूर्व उप महापौर हाजी हारून राठौड़ ने कहा कि साहित्यकार समाज को सुख और शांति की रोशनी दिखाते हैं और शहीदों की कुर्बानियों को याद रखना हमारा नैतिक कर्तव्य है।
एकता की मिसाल थे अशफ़ाक़ और बिस्मिल
स्वागत भाषण के दौरान वली मोहम्मद ग़ौरी ने अशफ़ाक़ उल्लाह ख़ां और रामप्रसाद बिस्मिल की अटूट मित्रता का जिक्र करते हुए बताया कि वे भाइयों से भी बढ़कर एक-दूसरे से प्रेम करते थे और देश के लिए एक साथ बलिदान हुए। कार्यक्रम का कुशल संचालन शायर क़ासिम बीकानेरी ने किया, जबकि डॉ. मोहम्मद फ़ारूक़ चौहान ने तीन दिवसीय आयोजन की विस्तृत रिपोर्ट पेश की। इस अवसर पर नगर के अनेक साहित्यकार, पत्रकार और प्रबुद्ध जन बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। अंत में उर्दू लेक्चरर सईद अहमद ने सभी का आभार व्यक्त किया।








