शायरी के बादशाह मिर्ज़ा ग़ालिब को बीकानेर में मिली कलाम की खिराज-ए-अकीदत

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quicjZaps 15 sept 2025

बीकानेर , 29 दिसम्बर। दुनियाभर में उर्दू शायरी के बेताज बादशाह माने जाने वाले मिर्ज़ा ग़ालिब की जयंती के अवसर पर बीकानेर के अदबी हलकों में यादों का चिराग रोशन किया गया। रविवार को होटल मरुधर हेरिटेज में पर्यटन लेखक संघ एवं ‘महफिले-अदब’ के तत्वावधान में एक विशेष साप्ताहिक काव्य गोष्ठी आयोजित की गई। इस महफिल में शहर के नामचीन रचनाकारों और शायरों ने अपने बेहतरीन कलाम के माध्यम से ग़ालिब को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

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ग़ालिब: शायरी की दुनिया के बेताज बादशाह कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रतिष्ठित शिक्षाविद प्रोफेसर डॉ. नरसिंह बिनानी ने मिर्ज़ा ग़ालिब के साहित्यिक योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने ग़ालिब को ‘शायरी का बादशाह’ बताते हुए कहा कि उनके शब्द आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने सदियों पहले थे। इस अवसर पर डॉ. बिनानी ने आगामी नववर्ष के स्वागत में भी एक उत्साहजनक कविता पेश कर श्रोताओं की तालियां बटोरीं।

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ग़ालिब की ज़मीन पर शायरों की जुगलबंदी महफिल के मुख्य अतिथि और वरिष्ठ शायर जाकिर अदीब ने ग़ालिब की बहर (ज़मीन) में अपनी ग़ज़ल पेश कर समां बांध दिया। उनके शेर— “है ज़ौम उसे अपनी रवानी पे तो क्या है, सौ बार हुआ खुश्क वो दरिया मेरे आगे” —ने खूब वाहवाही लूटी। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए कार्यक्रम के संयोजक डॉ. ज़िया उल हसन कादरी ने भी अपनी गजल से दाद हासिल की। उनकी पंक्तियां— “मुमकिन है के बिगडे नहीं हालाते-जहाँ और, तुम आ के ज़रा दो ना, मुहब्बत की अजां और” —ने इंसानियत और प्रेम का पैगाम दिया।

साहित्यिक सुधिजनों की मौजूदगी इस काव्य गोष्ठी में असद अली असद, डॉ. जगदीश दान बारहठ, अमर जुनूनी, अब्दुल शकूर सिसोदिया और धर्मेंद्र राठौड़ धनंजय सहित कई कवियों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. ज़िया उल हसन कादरी ने किया। वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि ग़ालिब जैसे रचनाकार किसी एक दौर के नहीं बल्कि हर ज़माने के होते हैं।

भीखाराम चान्दमल 15 अक्टूबर 2025
mmtc 2 oct 2025

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