रवि पुरोहित के काव्य संग्रह ‘आग अभी शेष है’ पर ‘पुस्तकालोचन’ कार्यक्रम



बीकानेर, 6 अक्टूबर । प्रज्ञालय संस्थान और राजस्थानी युवा लेखक संघ ने अपनी रचनात्मक यात्रा में नवाचार करते हुए, ‘पुस्तकालोचन’ कार्यक्रम की चौथी कड़ी का आयोजन किया। यह कड़ी स्थानीय लक्ष्मीनारायण रंगा सृजन-सदन में वरिष्ठ कवि रवि पुरोहित के हिंदी काव्य संग्रह “आग अभी शेष है” पर केंद्रित रही।
मानवीय मूल्यों और समय की धड़कन
वरिष्ठ साहित्यकार और आलोचक कमल रंगा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि रवि पुरोहित की कविताएँ पाठकों में प्रकृति और मानवीय राग के प्रति लगाव पैदा करती हैं। उन्होंने कहा कि “रवि पुरोहित की कविताएँ मानवीय मूल्यों एवं रिश्तों की सशक्त अभिव्यक्ति है।” रंगा ने आगे बताया कि कवि अपनी काव्य सम्प्रेषण क्षमता के माध्यम से पाठकों से एक रागात्मक रिश्ता जोड़ते हैं और उनकी काव्य कहन तथा भाषा भंगिमा जुदा है।




मुख्य अतिथि वरिष्ठ आलोचक डॉ. उमाकान्त गुप्त ने कहा कि “रवि पुरोहित की कविताएँ समय की धड़कन से संवाद करती है, साथ ही समय के सच को उद्घाटित करती है।” डॉ. गुप्त ने कहा कि कवि अपनी रचनाओं से पाठकों को प्रतिरोध के प्रति आंदोलित कर अपनी काव्य सृजन धार को पहुंचाते हैं। उन्होंने ‘पुस्तकालोचन’ कार्यक्रम को आलोचना साहित्य पर ठोस मंथन के लिए सकारात्मक नवाचार बताया।



संग्रह का आलोचनात्मक मूल्यांकन
मुख्य वक्ता व वरिष्ठ साहित्यकारा मोनिका गौड़ ने कहा कि “आग अभी शेष है” संग्रह प्रगतिशील प्रेम कविताओं का है, जो अपने वैशिष्ट्य के कारण समकालीन रचना धर्मिता से थोड़ा अलग है।
संवादी कासिम बीकानेरी: वरिष्ठ शायर ने रवि पुरोहित की कविताओं को विभिन्न पक्ष उजागर करने वाली और साहित्य, समाज, प्रेम, रिश्तों आदि जैसे विषयों पर अनुभूति व्यक्त करने वाली बताया।
संवादी जुगल किशोर पुरोहित: वरिष्ठ कवि जुगल किशोर पुरोहित ने कविताओं को वर्तमान समय की स्थितियाँ एवं परिस्थितियों को अभिव्यक्त करने वाली बताया।
कार्यक्रम का सफल संचालन कवि गिरीराज पारीक ने किया और आभार मो. फारूक चौहान ने ज्ञापित किया। वरिष्ठ शायर जाकिर अदीब ने आरंभ में सभी का स्वागत करते हुए प्रज्ञालय संस्थान के साहित्यिक अवदान और पुस्तकालोचन के महत्व को रेखांकित किया।
