अखिल भारतीय साहित्य परिषद् बीकानेर इकाई ने मनाई महर्षि वाल्मीकि जयंती

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quicjZaps 15 sept 2025

बीकानेर, 11 अक्टूबर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद् (अ.भा.सा.प.) बीकानेर महानगर इकाई द्वारा महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर वरिष्ठ नागरिक समिति में ‘सामाजिक समरसता एवं समन्वय और महर्षि वाल्मीकि’ विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।

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कार्यक्रम के प्रमुख बिंदु
अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए डॉ. अन्नाराम शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि महर्षि वाल्मीकि संस्कृत रामायण के प्रथम रचयिता और आदिकवि के रूप में विख्यात हैं। उनका मूल नाम रत्नाकर था, जो एक डाकू थे। नारद मुनि के मार्गदर्शन और ‘राम नाम’ के जाप ने उनके जीवन में परिवर्तन लाया, जिसके बाद वे महर्षि वाल्मीकि बने। उन्होंने बताया कि वाल्मीकि ने एक शिकारी द्वारा क्रौंच पक्षी के जोड़े में से एक को मारते देखकर पहला श्लोक रचा, जो उनके द्वारा रामायण की रचना का आधार बना।
मुख्य वक्ता डॉ. बाबूलाल बिकोनिया ने महर्षि वाल्मीकि और रामायण में सामाजिक समरसता पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि ममता से ही समरसता की सिद्धि होती है, और रामायण इस समरसता का जीवंत उदाहरण है। विशिष्ट अतिथि प्रो. शालिनी मूलचंदानी ने महर्षि वाल्मीकि और श्रीराम के जीवन पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने उनके साहित्यिक और आध्यात्मिक योगदान को रेखांकित किया।

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अन्य वक्ताओं के विचार
कार्यक्रम में परिषद् के कई गणमान्य सदस्यों ने अपने विचार साझा किए, जिनमें मोनिका गौड़ (प्रांतीय उपाध्यक्ष), डॉ. बसंती हर्ष (महानगर अध्यक्ष), डॉ. कृष्णा आचार्य (उपाध्यक्षा), जितेंद्र सिंह (महामंत्री), डॉ. श्रीनिवास शर्मा (सह सचिव),डॉ. एस. एन. हर्ष , राजाराम स्वर्णकार ,श्रीमती रेणु वर्मा, गोपाल कृष्ण वाल्मीकि इन सभी ने महर्षि वाल्मीकि के योगदान, उनके जीवन के परिवर्तन और रामायण के सामाजिक समन्वय के संदेश पर अपने विचार रखे।
कार्यक्रम का महत्व
यह गोष्ठी महर्षि वाल्मीकि के साहित्यिक, आध्यात्मिक और सामाजिक योगदान को याद करने और उनके द्वारा रचित रामायण के माध्यम से सामाजिक समरसता और समन्वय के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का एक प्रयास था।

mmtc 2 oct 2025

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