चेन्नई के पल्लावरम में ‘ज्ञानशाला दिवस’ का सुंदर आयोजन



मुनि दीप कुमार ने बताया ‘संस्कार जागरण की प्रयोगशाला
पल्लावरम, तमिलनाडु, 10 अगस्त, तमिलनाडु के पल्लावरम क्षेत्र स्थित तेरापंथ भवन में आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनिश्री दीप कुमारजी के सान्निध्य में श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथ सभा-चेन्नई के तत्वावधान में श्री पल्लावरम जैन श्वेतांबर तेरापंथ ट्रस्ट द्वारा ‘ज्ञानशाला दिवस’ का आयोजन बहुत ही सुंदर ढंग से किया गया। इस कार्यक्रम में पल्लावरम ज्ञानशाला, ताम्बरम, बड़पल्ली और पक्षी तीर्थ ज्ञानशाला के बच्चों और प्रशिक्षिकाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिसकी उपस्थिति शानदार रही।
ज्ञानशाला: संस्कार निर्माण की मूल नींव
मुनि श्री दीप कुमार जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि “ज्ञानशाला संस्कार जागरण की प्रयोगशाला है।” उन्होंने जोर दिया कि संस्कार जीवन निर्माण की मूल नींव हैं और संस्कारों की सुदृढ़ शिला पर ही जीवन का भव्य महल खड़ा होता है। मनुष्य को ‘मनुष्य’ बनने के लिए संस्कारों की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। उन्होंने अभिभावकों से इस दृष्टि से जागरूक रहने का आग्रह किया कि उनके बच्चों में सुसंस्कारों का जागरण हो, और इसीलिए ज्ञानशाला एक अत्यंत महत्वपूर्ण उपक्रम है। उन्होंने बच्चों को ज्ञानशाला से जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया।
मुनि श्री ने आगे कहा कि ज्ञानशाला आचार्य श्री तुलसी की दूरगामी सोच से प्रारंभ हुई थी और वर्तमान में आचार्य श्री महाश्रमण जी का इसे अनुपम आशीर्वाद प्राप्त हो रहा है। उन्होंने प्रशिक्षिकाओं की सेवाओं को महत्वपूर्ण बताया, जो अपना समय और श्रम लगाकर बच्चों के भविष्य को गढ़ रही हैं। मुनि श्री काव्य कुमार जी ने बच्चों को जीवन में तीन “H” (Hardwork, Happiness, Humbleness – कड़ी मेहनत, खुशी, विनम्रता) का विकास करने पर जोर दिया।




बच्चों की मनमोहक प्रस्तुतियां
कार्यक्रम में पल्लावरम ज्ञानशाला की ज्ञानार्थियों ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। पल्लावरम ज्ञानशाला की मुख्य प्रशिक्षिका सीमा जी बडोला ने बच्चों के माध्यम से ज्ञानशाला के प्रारूप के बारे में बताया। पक्षी तीर्थ के बच्चों ने जैन धर्म की एबीसीडी पर एक मनमोहक प्रस्तुति दी, जबकि ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं ने गीत का संगान किया।


बड़पल्ली ज्ञानशाला के बच्चों ने आचार्य भिक्षु के प्रसंगों पर आधारित एक नाटिका प्रस्तुत की। ताम्बरम ज्ञानशाला के बच्चों और प्रशिक्षिकाओं ने ज्ञानशाला के महत्व पर एक इंटरव्यू की प्रस्तुति दी। अंत में, पल्लावरम ज्ञानशाला के बच्चों ने ‘अपरिग्रह’ विषय पर एक नाटक प्रस्तुत किया, जिसने सभी का ध्यान आकर्षित किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन पल्लावरम की संयोजिका श्रीमती सुधाजी मरलेचा ने किया। कार्यक्रम से पूर्व पल्लावरम के मार्केट में ज्ञानशाला की एक रैली का भी आयोजन किया गया, जिसने जनमानस में जागरूकता फैलाई।