महाकुंभ प्रयागराज में लगेगा बीकानेर का खालसा, 34 दिन मिलेगी ठहरने व भोजन की नि:शुल्क सुविधा

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quicjZaps 15 sept 2025
  • 4000 लोगों के भोजन व करीब 900 जनों के रहने की व्यवस्था, 200 सेवादारों का रहेगा सहयोग

बीकानेर ,31 दिसम्बर । परम पूज्य गुरु महाराज श्री सियारामजी महाराज की कृपा से एवं पूज्य गुरुदेव श्रीश्रीरामदासजी महाराज के सान्निध्य में रामझरोखा कैलाशधाम की ओर से महाकुम्भ में बीकानेर खालसा लगने जा रहा है। इस संबंध में मंगलवार को आयोजित प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुए रामझरोखा कैलाशधाम के पीठाधीश्वर राष्ट्रीय संत श्रीसरजूदासजी महाराज ने बताया कि साल 2025 के महाकुंभ का आरंभ पौष पूर्णिमा से हो रहा है और इसका समापन 12 फरवरी को होगा।

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इस दौरान जो भी भक्तजन प्रयागराज में महाकुंभ में शाही स्नान करेंगे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है और उन्हें कई पापों से मुक्ति मिल सकती है। इस दिन से शुरू होने वाला महाकुंभ आध्यात्मिक ऊर्जा और सकारात्मकता का अद्भुत संगम लेकर आएगा। महामंडलेश्वर श्रीसरजूदासजी महाराज ने बताया कि रामझरोखा कैलाशधाम की ओर से प्रयागराज महाकुंभ में सेक्टर 19, मुक्ति मार्ग, ओल्ड जीटी रोड एवं गंगोली शिवाला के मध्य बीकानेर खालसा लगाया जा रहा है। करीब साढ़े तीन बीघा परिसर में शिविर की अनुमति मिली है जिसमें रोजाना करीब 4000 हजार लोगों के भोजन तथा 900 जनों के सोने की नि:शुल्क व्यवस्था रहेगी। शिविर का शुभारम्भ 10 जनवरी को ध्वजारोहण के साथ होगा जो 13 फरवरी तक चलेगा। शिविर में रामझरोखा कैलाशधाम के करीब 200 से अधिक सदस्य श्रद्धालुओं को सेवाएं देने पहुंचेंगे। प्रेसवार्ता के दौरान शोभायात्रा के पोस्टर का विमोचन श्रीसरजूदासजी महाराज, समाजसेवी श्रीभगवान अग्रवाल, घनश्याम जोशी एवं एडवोकेट गणेश द्वारा किया गया।

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रजिस्ट्रेशन जरूरी...
श्रीसरजूदासजी महाराज ने बताया कि बीकानेर व आसपास ग्रामीण क्षेत्रों के श्रद्धालुओं को आश्रम में दो फोटो व एक आईडी के साथ रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। हालांकि हाथोहाथ भी रजिस्ट्रेशन हो सकेगा लेकिन पहले से ही रजिस्ट्रेशन करवाने वालों को प्राथमिकता दी जाएगी।

4 जनवरी को निकलेगी शोभायात्रा
प्रयागराज में होने वाले इस महाकुम्भ में बीकानेर से हजारों श्रद्धालू पहुंचेंगे। इस दिव्य आयोजन से पूर्व 4 जनवरी को एक विशाल शोभा यात्रा निकाली जाएगी। श्रीसरजूदासजी महाराज ने बताया कि यह शोभायात्रा गंगाशहर मुख्य बाजार, गोपेश्वर बस्ती, मोहता सराय, हरोलाई हनुमान मंदिर, नत्थूसर गेट, गोकुल सर्किल, नयाशहर थाना क्षेत्र, जस्सूसर गेट, चौखूंटी पुलिया, मुख्य डाकघर, केईएम रोड, मॉर्डन मार्केट, अम्बेडकर सर्किल होते हुए मेजर पूर्णसिंह सर्किल पर समाप्त होगी।

144 साल बाद बन रहा दुर्लभ संयोग
यह अद्वितीय मेला चार पवित्र स्थानों पर ही आयोजित किया जाता है, इसमें प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक शामिल हैं। यह न केवल एक धार्मिक आयोजन है बल्कि इसमें खगोलीय घटनाओं का भी गहरा प्रभाव माना जाता है। कुंभ मेले के चार प्रकार होते हैं, कुंभ, अर्धकुंभ, पूर्णकुंभ और महाकुंभ। इसका आयोजन तब होता है जब सूर्य, चंद्रमा और गुरु ग्रह विशिष्ट खगोलीय स्थिति में होते हैं। इस अवधि में गंगा, क्षिप्रा, गोदावरी और संगम का जल विशेष रूप से पवित्र माना जाता है। अर्धकुंभ मेला हर 6 वर्ष के अंतराल पर आयोजित किया जाता है। यह भारत में सिर्फ दो जगहों हरिद्वार और प्रयागराज में लगता है। अर्ध का अर्थ आधा होता है।

हरिद्वार और प्रयाग में दो कुंभ पर्वों के बीच छह वर्ष के अंतराल में अर्धकुंभ लगता है, इसलिए इसे कुंभ मेला के मध्य चरण के रूप में देखा जाता है। पूर्णकुंभ 12 साल में एक बार लगता है। पूर्णकुंभ मेला केवल प्रयागराज में आयोजित होता है। हालांकि पूर्णकुंभ को भी महाकुंभ कहते हैं। जब गुरु ग्रह बृहस्पति वृषभ राशि में और ग्रहों के राजा मकर राशि में होते हैं तो महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में किया जाता है। इस साल का महाकुंभ ख़ास है क्योंकि महाकुंभ हर 12 साल के बाद आता है और इस साल 12-12 के पूरे बारह चरण पूर्ण हो रहे हैं, जिसकी वजह से 144 साल के बाद ऐसा संयोग बन रहा है। यह महाकुंभ इसलिए ख़ास होता है क्योंकि इसमें ग्रहों की स्थिति, तिथि और हर एक गतिविधि अनुकूल होती है और एक दुर्लभ संयोग बनता है।

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