चारित्र धर्म ही सच्ची व अच्छी शरण’ – गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर



बीकानेर, 6 अक्टूबर। आध्यात्मिक पर्व नवपद ओली के अंतर्गत सोमवार को रांगड़ी चौक स्थित सुगनजी महाराज के उपासरे में चारित्र पद की साधना की गई। यह साधना गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर म.सा., मुनि मंथ प्रभ सागर, बाल मुनि मीत प्रभ सागर, साध्वी दीपमाला और शंखनिधि श्रीजी के पावन सान्निध्य में संपन्न हुई।
चारित्र: मोक्ष प्राप्ति का अनिवार्य सोपान
गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर म.सा. ने सम्यक चारित्र पद की विवेचना करते हुए कहा कि चारित्र धर्म ही सच्ची व अच्छी शरण है, जो समस्त पापों से मुक्त होने का मार्ग है। चारित्र का अर्थ: चारित्र का अर्थ है अशुभ से निवृति और शुभ में प्रवृत्ति, और हर पल शुभ में जागृत रहना। यह हमें विभाव से स्वभाव की ओर ले जाता है। कर्मों से मुक्ति: उन्होंने बताया कि आत्मा को संसार में बांधने वाले आठ कर्मों (ज्ञानावरण, दर्शनावरण, वेदनीय, मोहनीय, आयुष्य, नाम, गोत्र और अन्तराय) को नष्ट करने के लिए ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप की साधना आवश्यक है। मोक्ष का मार्ग: गणिवर्य ने स्पष्ट किया कि चारित्र को स्वीकार किए बिना आत्मा मोक्ष को प्राप्त नहीं कर सकती। यह हमें चार गति से मुक्त करके पंचम गति (मोक्ष) प्राप्त करवाता है। चारित्र की ताकत: उन्होंने कहा कि सम्यक चारित्र की पालना में इतनी ताकत है कि एक भिखारी भी अगले भव में महाराजा बन सकता है। उन्होंने सभी से चारित्र के प्रति हृदय में बहुमान भाव धारण करने का आह्वान किया, ताकि जीवन में जल्द चारित्र का उदय हो सके। इस दौरान मुनि मंथन प्रभ सागर ने नवपद ओली पर्व के दौरान जप, तप और परमात्म भक्ति करने वाली श्राविकाओं को विभिन्न धार्मिक क्रियाएँ करवाईं।




