बीकानेर में चातुर्मासिक अनुष्ठान: णमोत्थु णं का मंगलमय आयोजन

shreecreates
QUICK ZAPS

बीकानेर, 3 अगस्त। युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी की आज्ञानुवर्ती शासन श्री साध्वी मंजू प्रभा जी और शासन श्री साध्वी कुंथु श्री जी के सान्निध्य में, तेरापंथ भवन बीकानेर में चातुर्मासिक काल की आध्यात्मिक प्रवृत्तियों के अंतर्गत आज णमोत्थु णं का मंगल अनुष्ठान आयोजित किया गया।
णमोत्थु णं: तीर्थंकर स्तवना और उसके प्रभाव
शासन श्री साध्वी मंजू प्रभा जी ने अपने उद्बोधन में फरमाया कि “णमोत्थु णं शक्र स्तुति है।” उन्होंने बताया कि प्राचीन काल में मंत्र, तंत्र और यंत्र के माध्यम से अनेक विद्याएँ प्राप्त की जा सकती थीं। साध्वी जी ने इनके प्रभाव को स्पष्ट करते हुए इतिहास के प्रसंगों से तीर्थंकर की स्तवना का महत्व समझाया।

indication
L.C.Baid Childrens Hospiatl
SETH TOLARAM BAFANA ACADMY

शासन श्री साध्वी कुंथु श्री जी ने इस पाठ के शाश्वत स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “णमोत्थु णं यह शाश्वत पाठ है।” उन्होंने इसके तीन नाम बताए: प्रणिपात सूत्र, शक्र स्तव, और णमोत्थु णं। साध्वी जी ने बताया कि देवलोक के 64 इंद्र और अनेक देवी-देवता इसी पाठ से तीर्थंकरों की स्तुति करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि अर्हतों की स्तुति से मन, वचन और काया की निर्मलता बढ़ती है, और साधक को आत्मिक शांति तथा लोकोत्तर सुख प्राप्त होता है। साध्वी कुंथु श्री जी ने इस बात पर जोर दिया कि इसकी आराधना और स्तवना व्यक्ति को कर्म निर्जरा के लक्ष्य से करनी चाहिए। उन्होंने इसे सभी समस्याओं और रोगों का शमन करने वाला बताते हुए कहा कि अर्हत् भक्ति से व्यक्ति संसार का पार पा सकता है।

pop ronak

सामूहिक उच्चारण और लाभ
साध्वी गुरु यशा जी और साध्वी सुमंगला श्री जी ने विधिपूर्वक णमोत्थु णं के अनुष्ठान का उच्चारण किया। अन्य सभी साध्वियों ने सामूहिक स्वर मिलाकर इस पुण्य कार्य में सहभागिता दी। इस अवसर पर परिषद में उपस्थित सभी श्रावक-श्राविकाओं ने भी सामूहिक उच्चारण करते हुए तीर्थंकर स्तुति का आध्यात्मिक लाभ प्राप्त किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *