श्रीमद् भागवत कथा में सुदामा चरित्र के प्रसंग पर भावविभोर हुए श्रद्धालु, निस्वार्थ मित्रता का दिया संदेश


- अटूट मित्रता पर निर्मल महाराज बोले- “सुदामा जैसा निस्वार्थ भाव ही सच्ची मित्रता की कसौटी है।”
बीकानेर, 31 दिसम्बर। पवनपुरी सेक्टर नंबर 4 स्थित नेहरू बाल उद्यान में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन बुधवार को कृष्ण-सुदामा मित्रता के मार्मिक प्रसंग ने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। कथा वाचक निर्मल महाराज ने सुदामा चरित्र की व्याख्या करते हुए वर्तमान समय में लुप्त होती निस्वार्थ मित्रता पर गहरा प्रकाश डाला। इस दौरान सजीव झांकियों और भजनों की प्रस्तुति ने वातावरण को पूरी तरह भक्तिमय बना दिया।


स्वार्थ से परे है कृष्ण-सुदामा की मित्रता


कथा व्यास निर्मल महाराज ने कहा कि सच्ची मित्रता का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण भगवान श्री कृष्ण और सुदामा हैं। उन्होंने वर्तमान दौर की स्वार्थपूर्ण मित्रता पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सच्चा मित्र वही है जो अपने मित्र की परेशानी को बिना कहे समझ ले और उसकी मदद करे। महाराज ने बताया कि सुदामा के पास साक्षात् ईश्वर थे, फिर भी उन्होंने अपने लिए कभी कुछ नहीं मांगा। सुदामा का चरित्र हमें सिखाता है कि जीवन की कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य और निस्वार्थ समर्पण ही असली धर्म है।
सजीव झांकी और भजनों पर झूमे भक्त
कथा के दौरान कृष्ण-सुदामा मिलन की भव्य और सजीव झांकी सजाई गई। इसमें पायल ने भगवान श्री कृष्ण, कनिष्का ने रुक्मणी और राजकुमार भाटिया ने सुदामा की भूमिका निभाकर प्रसंग को जीवंत कर दिया। कथा के बीच-बीच में जब भजनों की स्वर लहरियां गूंजी, तो श्रद्धालु अपने स्थानों पर खड़े होकर नृत्य करने लगे। इस सात दिवसीय आयोजन में कृष्ण जन्मोत्सव, गोवर्धन लीला, छप्पन भोग और रुक्मणी विवाह जैसे प्रसंगों का सजीव वर्णन किया गया।
गुरुवार को होगा पूर्णाहूति का भंडारा
सप्ताह भर चली इस आध्यात्मिक गंगा में नेहरू बाल उद्यान क्षेत्र के सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई। आयोजन को सफल बनाने में राजेंद्र सहारण, अनिल भूटानी, किरण भूटानी, हरीश गांधी, दीपक शर्मा, धनपत तंवर, सोनिया बख्शी, मधु भाटिया और उत्कर्ष सहित पूरी कॉलोनी के निवासियों का विशेष सहयोग रहा। गुरुवार को कथा की पूर्णाहूति पर विशेष हवन-पूजन और विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा।








