वेद की सामान्य अवधारणा और प्रचलित भ्रांतियां विषय पर संवाद आयोजित

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quicjZaps 15 sept 2025

बीकानेर,11 अगस्त। अजित फाउण्डेशन की मासिक संवाद श्रृंखला के तहत दिनांक 11 अगस्त 2024 को संस्था सभागार में ‘वेद की सामान्य अवधारणा और प्रचलित भ्रांतियां’’ विषय पर सुप्रसिद्ध लेखिका डॉ. चंचला पाठक का संवाद आयोजित हुआ।

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डॉ. पाठक ने कहा कि वेदो की प्रारम्भिक भाषा बहुत ही सरल है। वैदिक संस्कृत के बोल हमारी बोलियों से काफी मिलते-जुलते है। वेद हमारे लिए इसलिए महत्त्व है कि जब हम बौद्धिक बात करते है तो उसके उत्तर एवं महत्त्व हमें तर्कपूर्ण वेद में मिलते है।

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वेद छंदमय है। चाहे वह काव्य में लिखा गया हो या गद्य में दोनो जगहों पर छंदों का उपयोग पाया गया है। वेद को जब आप पढते है तो उसमें भौतिकवाद एवं आध्यात्मिकवाद दोनो देखने को मिलेगें। भौतिकवाद की दृष्टि से भौतिकवाद मिलेगा वहीं दूसरी आध्यात्मिक दृष्टि से आपको आध्यात्म मिलता है।

डॉ. पाठक ने कहा कि वेद को पढना है या जानना है तो हमें ऋषि दृष्टि को समझना होगा। हमारे पूर्वागृहों को समाप्त करना होगा तभी हम वेद को जान सकते है।

कार्यक्रम की अध्यक्ष्यता सुप्रसिद्ध कथाकार एवं वरिष्ठ साहित्यकार मालचंद तिवाड़ी ने करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि वेद में ज्ञान और विज्ञान दोनो का समावेष है। ज्ञान का एप्लाई रूप ही विज्ञान है। विज्ञान की सीमाएं हो सकती है लेकिन ज्ञान की कोई सीमा नहीं होती।

तिवाड़ी ने कहा कि वेद में ज्ञान को अमूर्त रूप से संचित करते है। इसलिए वेदों में बहु अर्थिता की संभावनाएं ज्यादा है। वेदो के इतर उन्होंने रामायण एवं महाभारत जैसे महाकाव्यों की बात करते हुए कहा कि इन महाकाव्यों ने भी वेदो को समझने के लिए काफी अच्छा कार्य किया है।

व्यंग्यकार एवं संपादक प्रोफेसर डॉ. अजय जोशी ने कहा कि इस प्रकार की चर्चाओं में हम अलग-अलग विषयों पर बात कर करते है तथा बहुत कुछ नया सीखते एवं जानते है। और यहीं नया जानना एवं सीखना कार्यक्रम की सार्थकता को सिद्ध करता है। डॉ. जोशी ने संस्था की तरफ से सभी आगुन्तकों का आभार एवं धन्यवाद ज्ञापित किया।

कार्यक्रम के दौरान जुगल किशोर पुरोहित, दीपचंद सांखला, डॉ. अजय जोशी एवं कमल रंगा ने प्रश्न पूछकर अपनी जिज्ञासाएं शांत की।

कार्यक्रम के आरम्भ में संस्था समन्वयक संजय श्रीमाली ने संस्था की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस तरह के आयोजनों से युवाओं एवं समाज में मानसिक सोच का विकास होता है।

कार्यक्रम में कमल रंगा, राजेन्द्र श्रीमाली, डॉ. अजय जोशी , महेश उपाध्याय, अमन पुरोहित, गिरिराज पारीक, योगेन्द्र पुरोहित, मो. फारूक चौहान, जुगल किशोर पुरोहित, मनीष कुमार जोशी, चन्द्रशेखर सेवग, विनीता शर्मा, डॉ. कृष्णा आचार्य, हरि गोपाल हर्ष, गणेश रंगा, सपना ओझा, पूजा गोदारा, दिनेश पुरोहित, योगेष हर्ष, शोभा जोशी, हनुमान कुशवाह, दिनेश पुरोहित उपस्थित रहे।

mmtc 2 oct 2025

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