अनुशासन ही सफल जीवन का आधार- साध्वी श्री पुण्ययशा

shreecreates
QUICK ZAPS

गंगाशहर, 7 अगस्त। युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वीश्री पुण्ययशा जी के पावन सानिध्य में आज “भिक्षु शासन: नंदनवन” कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में “आचार्य श्री भिक्षु की अनुशासन शैली” विषय पर अपने मंगल उद्बोधन में साध्वीश्री पुण्ययशाजी ने कहा कि आचार्य भिक्षु युगद्रष्टा महापुरुष थे और अपने युग में क्रांतिकारी आचार्य के रूप में पहचाने गए थे।
अनुशासन: व्यक्तिगत शुद्धि और संगठनात्मक दृढ़ता का आधार
साध्वीश्री ने अनुशासन को संगठन का एक अनिवार्य पहलू बताते हुए कहा, “आत्मशुद्धि के लिए अनुशासन जितना ज़रूरी है, उतना ही संगठन की दृढ़ता के लिए भी उसका मूल्य है।” उन्होंने आगे कहा कि परिवार, समाज और राष्ट्र, किसी भी परिवेश में, समूह चेतना के स्तर पर सफलतम जीवन वही जी सकता है जो अनुशासन में रहना जानता है।

indication
L.C.Baid Childrens Hospiatl
SETH TOLARAM BAFANA ACADMY

उन्होंने स्पष्ट किया कि पारिवारिक विघटन, सामाजिक टूटन और राष्ट्रीयता के बिखराव का प्रमुख कारण अनुशासन का अभाव ही है। जहाँ आत्मानुशासन के संस्कार न हों, अनुशासन के प्रति आस्था न हो, और अनुशासन के परिणाम में विश्वास न हो, वहाँ सामूहिक जीवन भी एक बड़ी समस्या बन जाता है। साध्वीश्री ने जोर दिया कि जीवन के हर पहलू के साथ अनुशासन का महत्व जुड़ा है।

pop ronak

तपस्या और सामूहिक भागीदारी
साध्वी बोधिप्रभाजी ने एक कविता के माध्यम से सभी को अनुशासन के सांचे में ढलकर अपने जीवन को निखारने की प्रेरणा दी। महिला मंडल की बहनों द्वारा मंगलाचरण किया गया। आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी के अवसर पर आचार्य भिक्षु की द्वितीय मासिक तिथि पर आयोजित इस कार्यशाला में साध्वीश्री जी की प्रेरणा से श्रावक-श्राविकाओं द्वारा प्रवचन में लगभग 251 सामायिक और 250 घंटे का मौन किया गया। आज अढ़ाई सौ प्रत्याख्यान तप की दो लड़ियां (अढ़ाई सौ पचक्खाण की दो और 10 पचक्खाण की सात लड़ी) भी करवाई गईं, जिसमें लगभग 580 तपस्वियों की सहभागिता रही। सभाध्यक्ष राकेश छाजेड़ ने सभी का स्वागत किया और अढ़ाई सौ पचक्खाण में भाग लेने वाले सभी श्रावकों की अनुमोदना की। कार्यक्रम का सफल संचालन गुलाब बाँठिया ने किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *