पर्युषण पर्व मेंअणुव्रत चेतना दिवस पर साध्वी कुंथु श्री जी का प्रवचन

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बीकानेर, 24 अगस्त। बीकानेर के तेरापंथ भवन में विराजित साध्वी मंजू प्रभा जी और साध्वी कुंथु श्री जी के सान्निध्य में पर्युषण महापर्व उत्साहपूर्वक मनाया जा रहा है। आज पाँचवें दिन को अणुव्रत चेतना दिवस के रूप में मनाया गया।
अणुव्रत का दर्शन
साध्वी श्री कुंथु श्री जी ने अपने प्रवचन में कहा कि पर्युषण पर्व मैत्री और चेतना अनावरण का पर्व है, जो बिखरे रिश्तों को जोड़ने का अवसर देता है। उन्होंने अणुव्रत को चरित्र विकास के लिए किए जाने वाले संकल्पों का सार बताया, जिससे इंद्रिय और मन को नियंत्रित किया जा सकता है।

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उन्होंने अणुव्रत के पाँच दार्शनिक बिंदुओं पर प्रकाश डाला:

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  • फिलॉसफी (दर्शन): अणुव्रत जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाने का एक दर्शन है।
  • मिथोलॉजी (पौराणिकता): इसकी जड़ें भगवान ऋषभ से लेकर भगवान महावीर तक के महाव्रत और श्रावक धर्म में निहित हैं।
  • टेक्नोलॉजी (उपासना पद्धति): यह एक सार्वभौमिक पद्धति है, जिसे किसी भी जाति या संप्रदाय का व्यक्ति अपना सकता है। इसे जैन धर्म तक सीमित न रहकर ‘जन-जन का धर्म’ कहा जा सकता है।
  • सिंबोलॉजी (प्रतीक): इसका प्रतीक ‘संयम: खलु जीवनम’ है, जिसका अर्थ है स्वयं पर नियंत्रण।
  • सोशियोलॉजी (समाजशास्त्र): यह एक ऐसा संगठन है, जिसमें हर जाति, संप्रदाय और उम्र के लोग शामिल हो सकते हैं। इसका उद्देश्य है व्यक्ति को सुधारना, जिससे समाज और राष्ट्र का उत्थान हो सके।

तप और त्याग
साध्वी श्री ने अणुव्रत को आचार्य श्री तुलसी का वरदान बताया, जिन्होंने इसका सूत्रपात किया। इस दौरान उन्होंने भगवान के पूर्व भव का भी विस्तार से वर्णन किया। साध्वी सुमंगला श्री जी ने भगवान ऋषभ के पूर्व भव पर प्रकाश डाला। आज के दिन सुरेश बाफना ने अपनी 19वें दिन की तपस्या का संकल्प लिया। इसके अलावा, कई श्रावक-श्राविकाओं ने पंचोले और तेले की तपस्याएँ भी कीं।

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