आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी के सान्निध्य में दादा गुरुदेव की अष्ट प्रकार की भक्तिमय पूजा

shreecreates
quicjZaps 15 sept 2025

बीकानेर, 17 जुलाई। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ के आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी बीकानेर के सान्निध्य में बुधवार को ढढ्ढा चौक के प्रवचन पांडाल ’’यशराग निकेतन’’ में दादा गुरुदेव की पूजा भक्तिगीतों के साथ की गई।

indication
L.C.Baid Childrens Hospiatl
SETH TOLARAM BAFANA ACADMY

आचार्यश्री के दादा गुरुदेव के भजन गाए व स्तुतियों के साथ श्रावक-श्राविकाओं ने भक्ति से भाव विभोर होकर स्वर मिलाएं। उदयरामसर दादाबाड़ी में भी दादा गुरुदेव के निर्वाण दिवस पर भंवर लाल कोठारी परिवार की ओर से भक्ति संगीत के साथ पूजा की गई। आचार्यश्री के गुरुवार को प्रवचन सुबह नौ बजे प्रवचन पांडाल में होगे।

pop ronak
kaosa

आचार्यश्री ने युगप्रधान प्रथम दादा गुरुदेव जिन दत्त सूरी के आदर्शों का स्मरण दिलाते हुए कहा कि दादा गुरुदेव अपने गुणों और अनगिनत चमत्कारों के कारण समूचे श्वेताम्बर जैन समाज में पूजनीय, वंदनीय है। उनके देश और सम्पूर्ण जैन समाज तथा उपकार असीमित है, इसलिए उनका फलक गच्छ, समाज तथा सम्प्रदाय की सीमाओं से ऊपर है।

जिनदत्त सूरिजी खरतरगच्छ समुदाय एवं जिनशासन के प्रथम दादा गुरुदेव का जीवन श्रमण संस्कृति का ऐसा जगमगाता आलोक पुंज है, जो शताब्दियों के काल खंड प्रवहन के उपरांत भी हमें आत्म विकास की राह दिखलाता है, हमारे चरित्र, व्यवहार तथा साधना के मार्ग को आलौकित करता है।

बीकानेर के मुनिश्री सम्यक रत्न सागर म.सा. ने कहा कि स्तुति ’’दासानुदासा इव सर्व देवा, यदीय पदाब्जतले लुठंति। मरुस्थली कल्पतरु-सजीयात युग प्रधानो जिनदत्तसूरिःः।। ‘‘ को समूचे भारत में सम्मान के साथ गाया जाता है। दादा गुरुदेव लाखों नूतन जैन बनाए, जैन समाज के गौत्रों की रचना की। उन्होंने अमूल्य साहित्य की अनुपम भेंट जिनशासन को दी।

उनका अधिकतर विचरण केन्द्र अजमेर क्षेत्र रहा जहां उन्होंने समाधिपूर्व ज्ञान आराधना करते हुए विक्रम संवत 1211 में आषाढ़ शुक्ला 11 को लौकिक देह का त्याग किया। उनके अग्नि संस्कार के समय उनके चद्दर, चोलपट्टा और मुपति को कुछ नहीं हुआ वे आज भी जैसलमेर ज्ञान भंडार में दर्शनार्थ रखे गये है।

चन्द्रप्रभु जिनालय जिर्णोंद्धर चल प्रतिष्ठा 19 को

आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी आदि ठाणा 18, साध्वीश्री विचक्षणश्रीजी की शिष्या साध्वी विजय प्रभा, साध्वीश्री चन्द्रप्रभाकी शिष्या साध्वीश्री प्रभंजनाश्रीजी के सान्निध्य में बेगानियों के चौक में स्थित 188 वर्ष प्राचीन भगवान श्री चन्द्रप्रभु के जिनालय का आमूलचूल जीर्णोंद्धार का चल प्रतिष्ठा का अनुष्ठान 19 जुलाई शुक्रवार को सुबह साढ़े पांच बजे शुरू होगा। मंदिर के जीर्णोंद्धार व नवीनीकरण का कार्य समस्त बेगानी परिवारों, बेगानी मोहल्लावासी व श्री चन्द्र प्रभु मंदिर ट्रस्ट के संयुक्त प्रयासों से होगा।

शुक्रवार को सुबह 5.31 बजे शुक्र उत्सव में स्नात्र पूजा, सुबह 6.11 पर नवग्रह, दशदिग्पाल, अष्टमंगल, क्षेत्रपाल आदि आदि देवों का पूजन, सुबह 8.36 बजे प्रवचन, 9.31 बजे जीर्णोंद्धार मुर्हूत व चल प्रतिष्ठा होगी। इसके बाद गोगागेट स्थित गौड़ी पार्श्वनाथ परिसर में स्वधर्मी वात्सल्य का आयोजन होगा। स्वधर्मी वात्सल्य का लाभ श्री चन्द्रप्रभु मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष, मुंबई प्रवासी बीकानेर निवासी डॉ.मानमल बेगानी, श्रीमती फूदादेवी लक्ष्मीचंदजी, मानकचंद बेगानी व समस्त बेगानी परिवार ने लिया है।

 

mmtc 2 oct 2025

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *