समता में ही धर्म का सार: मुनि श्री कमल कुमार जी स्वामी ने समभाव की साधना पर दिया जोर

shreecreates
quicjZaps 15 sept 2025

बीकानेर, 13 दिसंबर। तेरापंथ भवन में आयोजित धर्मसभा में उग्र विहारी तपोमूर्ति मुनि श्री कमल कुमार जी स्वामी ने अपने प्रवचन में समता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि समता में ही धर्म होता है, इसलिए हर व्यक्ति को समता का अभ्यास करना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि समता के बिना जीवन अधूरा है और यह सभी धर्मों का सार है।
मुनि श्री ने उद्बोधन देते हुए कहा कि जिस घर में समता रहती है, वहाँ उल्लास, प्रकाश और उत्साह बना रहता है। उन्होंने बताया कि समता की साधना करने से कलह, निन्दा, ईर्ष्या, चुगली जैसी सभी कुप्रवृत्तियाँ अवश्य क्षीण होती हैं। उन्होंने भगवान महावीर के कथन का उल्लेख करते हुए कहा कि आध्यात्मिक क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए समता की साधना पहली आवश्यकता है, और आत्मकल्याण एवं परकल्याण के लिए इससे बड़ी कोई दूसरी साधना नहीं है।

indication
L.C.Baid Childrens Hospiatl

आत्महत्या नहीं, समभाव से करें कष्टों का सामना
मुनि श्री कमल कुमार जी ने वर्तमान युग की चुनौतियों पर बात करते हुए कहा कि हमें हर स्थिति में संतुलन बनाए रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज के समय में थोड़ी सी मुश्किल आते ही लोग घबराकर नशे की ओर या आत्महत्या का रास्ता अपना लेते हैं। उन्होंने जनता से आत्महत्या नहीं करने का संकल्प लेने की अपील की।उन्होंने कहा, “हमें ज्ञाता दृष्टा भाव से मुश्किलों का सामना करना चाहिए। हर कष्ट और मुश्किल को समता से सहन करना सीखें।” उन्होंने सुझाव दिया कि चित्त और मन को शांत रखने के लिए माला, जप, ध्यान और स्वाध्याय जैसे आध्यात्मिक अभ्यास से मन को मजबूत बनाकर समता की साधना को बढ़ाना चाहिए। मुनि श्री ने कहा कि भगवान महावीर को आज हम इसलिए याद करते हैं क्योंकि उन्होंने अनेकों कष्टों को समता से सहन किया था। उन्होंने आचार्य भिक्षु का उदाहरण भी दिया, जिनके समता के आदर्शों पर आज भी लाखों लोग चल रहे हैं।

pop ronak
kaosa

कड़ाके की ठंड में हो रही चातुर्मास काल जैसी तपस्या
मुनि श्री कमल कुमार जी की प्रेरणा से इस दिसंबर माह की कड़ाके की सर्दी में भी तेरापंथ भवन में चातुर्मास काल जैसी कठोर तपस्याएँ हो रही हैं। प्रवचन के अवसर पर मुनि श्री नमि कुमार जी ने 25 दिनों की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। इसके साथ ही, श्री सुरेन्द्र कुमार भुरा ने 21 दिनों की, आंचल बैद ने 9 दिनों की और श्री पवन छाजेड़ ने 6 दिनों की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। कल, 14 दिसंबर को 8 या 8 से अधिक (8 से 26 दिवस) की तपस्या करने वाले तपस्वी भाई-बहनों का अभिनंदन तेरापंथ भवन, गंगाशहर में प्रवचन के समय किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, शाम 6:15 बजे से 7:15 बजे तक मुनि श्री के सान्निध्य में पारसनाथ जयंती के अवसर पर जप अनुष्ठान सामायिक सहित तेरापंथ भवन में रखा गया है।

भीखाराम चान्दमल 15 अक्टूबर 2025
mmtc 2 oct 2025

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *