जैन धर्म के ज्ञान, दर्शन व चारित्र पर आधारित फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता



बीकानेर, 3 अगस्त। गणिवर्य श्री मेहुल प्रभ सागर , मंथन प्रभ सागर, बाल मुनि मीत प्रभ सागर, साध्वी दीपमाला श्रीजी व शंख निधि के पावन सान्निध्य में रविवार को जैन धर्म के ज्ञान, दर्शन व चारित्र के उपकरणों पर आधारित एक फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता (‘तीन रत्नों की प्रेरणा’) का आयोजन किया गया। दोपहर में बच्चों का एक शिविर भी आयोजित हुआ।
बच्चों ने दी धार्मिक प्रतीकों की जानकारी
इस प्रतियोगिता में दो दर्जन से ज़्यादा बालक-बालिकाओं ने भाग लिया। उन्होंने ज्ञान, दर्शन व चारित्र के साथ-साथ जैन धर्म में उपयोग होने वाले धार्मिक व मांगलिक चिन्हों के बारे में संक्षिप्त जानकारी देते हुए उनका प्रदर्शन किया। प्रतियोगिता के परिणाम: प्रथम: अक्षय भुगड़ी, द्वितीय: सुमति चंद, तृतीय: जिनीषा नाहटा, अव्वल रहे प्रतियोगियों के साथ-साथ श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले बच्चों को वरिष्ठ श्राविका श्रीमती हुलासी देवी, प्रिया पूगलिया, पुखराज पुगलिया, अशोक कोठारी, हस्तीमल सेठी और खरतरगच्छ युवा परिषद की बीकानेर इकाई के उपाध्यक्ष कमल सेठिया ने पुरस्कृत किया।




बच्चों ने बताया कि जैन धर्म में मुनि व साध्वीवृंद के लिए कुछ विशेष उपकरण होते हैं, जिनके माध्यम से वे पंच महाव्रतों – सत्य, अहिंसा, अचौर्य, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य – का पालन करते हैं। वहीं, श्रावक-श्राविकाएँ जिनालयों व घरों में अनेक मांगलिक चिन्हों का उपयोग करते हैं। प्रतियोगिता में बच्चों ने रजोहरण, मुँह पति, आसन, डंडा, पात्रा, तारपणी, पूंजनी, मोर पछी, पंखी, कलम, अक्षत, नैवेद्य, फल, स्वर्ण कलश, दर्पण, बैंग, पुस्तक, धूप, दीप, स्वास्तिक, गंवली और पंचरंगी जैन ध्वज जैसे जैन धर्म के चिन्हों का वर्णन करते हुए उनका प्रदर्शन किया।


चातुर्मास में चल रही ‘दादा दत तप’ व ‘सिद्धि तप’ साधना
श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट और अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा परिषद की बीकानेर इकाई की ओर से सकल श्री संघ के सहयोग से आयोजित चातुर्मास में इन दिनों ‘दादा दत तप’ व ‘सिद्धि तप’ की साधना मुनि मंथन प्रभ सागर म.सा. के नेतृत्व में चल रही है।