पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बीकानेर पहुंचे: धनखड़ के इस्तीफे पर उठाए सवाल, बोले- रहस्य बना हुआ है

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बीकानेर, 30 जुलाई। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बुधवार सुबह बीकानेर पहुंचे, जहां रेलवे स्टेशन पर कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया। गहलोत दो दिनों तक बीकानेर में रहकर विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे और कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे। हालांकि, रेलवे स्टेशन पर सेल्फी लेने वाले युवाओं से वे कुछ परेशान भी नजर आए।                                                               बीकानेर आगमन और कार्यकर्ताओं का उत्साह
गहलोत मंगलवार देर रात जयपुर से बीकानेर के लिए रवाना हुए थे और सुबह ठीक 6 बजे बीकानेर रेलवे स्टेशन पहुंचे। पूर्व मंत्री गोविंदराम मेघवाल और पूर्व मेयर मकसूद अहमद ने उनका स्वागत किया। शहर अध्यक्ष यशपाल गहलोत अपने दल-बल के साथ और देहात अध्यक्ष बिशनाराम सियाग की टीम भी स्वागत के लिए उपस्थित थी। रेलवे स्टेशन से सर्किट हाउस तक जगह-जगह गहलोत का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। सर्किट हाउस में भी बड़ी संख्या में कार्यकर्ता उनसे मिलने पहुंचे।

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बीकानेर कार्यक्रम- गहलोत का बीकानेर दो दिवसीय दौरा काफी व्यस्त रहेगा

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बुधवार सुबह 11 बजे रविंद्र रंगमंच पर आयोजित संविधान सभा को संबोधित करेंगे, जिसमें कई वरिष्ठ कांग्रेस नेता भी उपस्थित रहेंगे। शाम 4 बजे धरणीधर रंगमंच पर प्रोफेसर अशोक आचार्य की स्मृति में आयोजित व्याख्यान माला में हिस्सा लेंगे। इसके बाद 6 बजे परशुराम छात्रावास में आयोजित एक कार्यक्रम में भी भाग लेंगे। गुरुवार, 31 जुलाई को गोविंदराम मेघवाल की ओर से आयोजित सभा को संबोधित करेंगे। इसी दिन रामपुरिया लॉ कॉलेज में राजीव गांधी स्टडी सर्कल का कार्यक्रम भी होगा। गहलोत महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति से जुड़े कार्यकर्ताओं से भी मुलाकात करेंगे।

सेल्फी के जुनून से परेशान दिखे गहलोत
रेलवे स्टेशन पर गहलोत को सेल्फी लेने वाले कार्यकर्ताओं से थोड़ी परेशानी हुई। जैसे ही वे ट्रेन से उतरे, भीड़ में कुछ युवा बार-बार उनके आगे आकर सेल्फी लेने की कोशिश कर रहे थे, जिस पर गहलोत ने कुछ युवाओं को अपने आगे से हटाया।

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर उठाए गंभीर सवाल
बीकानेर रेलवे स्टेशन पर पत्रकारों से बातचीत में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को ‘रहस्य’ बताया। उन्होंने कहा, “यह मामूली घटना नहीं है, देश को इसका स्पष्टीकरण देना पड़ता है।” गहलोत ने आरोप लगाया कि संसद में विपक्ष के सवालों का जवाब नहीं दिया गया। उन्होंने वसुंधरा राजे और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के दिल्ली दौरे पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि यह उनकी पार्टी का अंदरूनी मामला है। हालांकि, उन्होंने तुरंत जोड़ा कि “जबसे धनखड़ का एपिसोड हुआ है, तब से गवर्नमेंट खुद डिफेंस में भी आ गई है।” गहलोत ने कहा कि इस संवैधानिक पद पर बैठे धनखड़ से कांग्रेस को बहुत शिकायत रही है, “परंतु ये रहस्य बना हुआ है कि उन्हें त्यागपत्र के लिए मजबूर किया गया या उन्होंने खुद इस्तीफा दिया।” गहलोत ने सवाल उठाया कि उपराष्ट्रपति के इस्तीफे को इतने दिन हो गए हैं, लेकिन न तो वे खुद बोले, न उन्होंने प्रेस से बात की, और न ही सरकार ने कुछ बताया है। “हमारे उपराष्ट्रपति चुने हुए थे, उन्होंने किन कारणों से इस्तीफा दिया, क्या सरकार नाराज़ थी? क्या नाइत्तफाकी थी मंत्रियों के बीच में या प्राइम मिनिस्टर के बीच में? किसी को नहीं मालूम और वो अभी मौन धारण किए हुए हैं।” उन्होंने जोर देकर कहा कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा स्पीकर, सीजेआई जैसे संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों के इस्तीफे ऐसे नहीं होते, उनके लिए देश को स्पष्टीकरण देना पड़ता है।

केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप
गहलोत ने केंद्र सरकार पर केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का भी गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि ईडी, इनकम टैक्स, सीबीआई जैसी एजेंसियां फाइनेंशियल अनियमितताओं, फ्रॉड और क्राइम के लिए बनी अच्छी एजेंसियां हैं, लेकिन “जिस प्रकार से मोदी के आने के बाद में दुरूपयोग हुआ है, उससे पूरे देश के अंदर आतंक मच गया।” उन्होंने संसद में सरकार के जवाब का हवाला देते हुए कहा कि ईडी ने 193 केस रजिस्टर किए, लेकिन सिर्फ दो केस में उन्हें सफलता मिली। उन्होंने सवाल उठाया कि “कितने लोगों को तंग किया गया होगा, उनके घरों में गए होंगे, छापे डाले होंगे, महिलाएं हैं, माताएं हैं, बहनें हैं, क्या बीती होगी? 18-18 घंटे नहीं, कई-कई दिन तक वहां रहते हैं। ये जो स्थिति हैं, ये बहुत ही खतरनाक स्थिति रही है। ये तो सुप्रीम कोर्ट ने जब कुछ कमेंट किए तब थोड़ा बहुत फर्क पड़ा है।”

‘पहलगाम घटना में चूक कहां हुई?’: सरकार पर सवाल
गहलोत ने पहलगाम जैसी बड़ी घटना के बाद सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि न तो गृह मंत्री ने और न किसी और मंत्री ने इस्तीफा दिया, और न ही एजेंसियों के किसी हेड ने। उन्होंने पूछा, “इतनी बड़ी घटना के बाद में आप किन को पनिशमेंट दे रहे हो? और चूक कहां हुई इसकी इंक्वायरी हुई है क्या? कोई रिपोर्ट नहीं आ रही है और कल (संसद में) जवाब में भी कोई स्पष्ट रूप से बात नहीं आई।” उन्होंने आरोप लगाया कि संसद में कांग्रेस के राहुल, प्रियंका, गौरव गोगोई और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जैसे नेताओं ने जो मुद्दे उठाए, उनका कोई जवाब नहीं दिया गया। गहलोत ने कहा कि जब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ समाप्त हुआ था, तभी संसद का सत्र बुलाकर देशवासियों के सामने बात रखनी चाहिए थी, जिससे जनता ज्यादा संतुष्ट होती। उन्होंने आरोप लगाया कि इतने लंबे अर्से बाद लोकसभा शुरू हुई है, तो सरकार पुरानी बातें कर रही है और इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश कर रही है।

छात्रसंघ चुनाव और यमुना जल पर गहलोत का रुख
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने छात्रसंघ चुनाव कराए जाने की वकालत की। बीकानेर में इसी मुद्दे पर उनका पुतला फूंकने के सवाल पर उन्होंने कहा कि “लोकतंत्र है, वो कुछ भी कर सकते हैं।” गहलोत ने चिंता जताई कि नई शिक्षा नीति से ऐसा लग रहा है कि राजनीतिक गतिविधियां नहीं होनी चाहिए, जबकि अनेक बड़े नेता छात्रसंघ चुनावों से ही निकले हैं। उन्होंने भाजपा में अरुण जेटली सहित कई नेताओं का उदाहरण दिया, जो छात्र राजनीति से आए और बाद में मंत्री या मुख्यमंत्री बने। गहलोत ने दोहराया, “मैं बार-बार मांग कर रहा हूं चुनाव होने चाहिए, होने चाहिए, होने चाहिए।” उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने चुनाव पोस्टपोन किए थे, इस उम्मीद में कि उनकी सरकार बनेगी और पहला काम छात्रसंघ चुनाव का ही करेंगे। यमुना का पानी बीकानेर लाने के सरकार के एग्रीमेंट और डीपीआर बनने पर गहलोत ने कहा कि अगर वास्तव में पानी आता है तो उन्हें बहुत खुशी होगी। उन्होंने कहा, “अगर ऐसा हो गया तो मैं जाकर माला पहनाऊंगा।”

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