भगवान भक्तवत्सल हैं – नानी बाई रो मायरो कथा



बीकानेर, 29 सितंबर। महालक्ष्मी मन्दिर, बेणीसर बारी के बाहर आयोजित ‘नानी बाई रो मायरो’ कथा के द्वितीय दिवस पर, कथावाचक पं. उत्कृष्ट महाराज ने भाव विभोर करने वाले प्रसंग सुनाए और कहा कि ‘भगवान भक्तवत्सल हैं, भक्तों का योगक्षेम वे स्वयं वहन करते हैं।’ आज की कथा में उन्होंने भक्त नरसी मेहता के जीवन के मार्मिक प्रसंगों की व्याख्या की, जिनमें नरसी द्वारा सांवरा सेठ के नाम लिखी गई हुंडी का भगवान द्वारा स्वयं भुगतान करना, तथा अंजार नगरी जाने के लिए रिश्तेदारों के मना करने पर भी टूटी-फूटी गाड़ी से यात्रा की तैयारी करना शामिल था। महाराज ने यह भी बताया कि भगवान ने किसना खाती का रूप धारण कर कैसे नरसी की गाड़ी सुधारी और उन्हें अंजार नगरी पहुँचाया, जबकि गरीबी के कारण उनके रिश्तेदारों ने लंबी मायरे की सूची भेजकर न आने का संदेश दिया था।




कथा के दौरान ‘म्हारी हुंडी सिकारो महाराज रे’ जैसे भजनों पर श्रोताओं ने जमकर नृत्य किया। लालजी वैरागी ने गायन किया और कान्हा पुरोहित तथा नवीन पारीक ने संगत दी। महिला मण्डल की अध्यक्ष्या इन्द्रा दवे ने इस अवसर पर सभी कार्य कारिणी सदस्यों को उपहार भेंट कर सम्मानित किया। महिला मण्डल की प्रवक्ता सुनिता श्रीमाली ने बताया कि कथा के प्रसंगों के अनुरूप सजीव झाँकियाँ भी प्रस्तुत की गईं, जिसमें बच्चों ने मीरा बाई, नानीबाई, भगवान कृष्ण और नरसी मेहता की भूमिकाएँ निभाईं। कथा का आयोजन महालक्ष्मी मन्दिर प्रांगण में हो रहा है और कल कथा का अन्तिम दिन रहेगा।




