₹60,000 करोड़ में बिकेगा IDBI बैंक, निजीकरण की दिशा में बड़ा कदम, ग्राहकों के लिए सुरक्षित भविष्य


नई दिल्ली, 5 दिसम्बर। भारत सरकार ने IDBI बैंक लिमिटेड में अपनी 60.72\% (लगभग ₹60,000 करोड़ या 7.1 बिलियन डॉलर मूल्य की) हिस्सेदारी बेचने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह दशकों से लंबित सरकारी बैंकों के निजीकरण की दिशा में एक निर्णायक प्रयास है, जो बैंक के विनिवेश प्रक्रिया को अंतिम चरण में ले जा रहा है।



भारी कर्ज से लाभ तक का सफरविनिवेश का कारण



सरकार का लक्ष्य मुंबई मुख्यालय वाले इस बैंक में अपनी बड़ी हिस्सेदारी बेचना है। यह बैंक एक समय भारी वित्तीय संकट और कर्ज के बोझ तले दबा हुआ था।
वर्तमान स्थिति: हाल के वर्षों में मजबूत पूंजी समर्थन और संपत्ति गुणवत्ता में सुधार के कारण बैंक की स्थिति में सुधार आया है। इसने गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPAs) में कटौती की है और मुनाफे की स्थिति में लौट आया है। अब बैलेंस शीट सुधरने के बाद सरकार इसे निजी हाथों में सौंपने के लिए तैयार है।
ऐतिहासिक घटना: यदि यह प्रक्रिया सफल होती है, तो यह देश में किसी सरकारी बैंक का दशकों बाद होने वाला पहला निजीकरण होगा, जो भारतीय बैंकिंग परिदृश्य के लिए एक ऐतिहासिक घटना होगी।
खरीदारों की दौड़ और हिस्सेदारी का विवरणसंभावित खरीदार
शॉर्टलिस्ट किए गए संभावित खरीदार वर्तमान में बैंक का बारीकी से आकलन कर रहे हैं। इस बैंक को खरीदने में प्रमुख रूप से कोटक महिंद्रा बैंक लिमिटेड, एमिरेट्स NBD PJSC, और फेयरफैक्स फाइनेंशियल होल्डिंग्स लिमिटेड ने रुचि दिखाई थी।सरकारी भागीदारी: IDBI बैंक में केंद्र सरकार और LIC की कुल मिलाकर लगभग 95\% हिस्सेदारी है। इस बिक्री के तहत, केंद्र सरकार अपनी 30.48\ हिस्सेदारी बेचेगी, जबकि LIC प्रबंधन नियंत्रण के हस्तांतरण के साथ अपनी 30.24\% हिस्सेदारी बेचेगी।बोली प्रक्रिया: उम्मीद है कि बैंक के लिए बोली लगाने की प्रक्रिया इसी महीने शुरू हो जाएगी।
खाताधारकों के लिए सुनिश्चित सुरक्षा और प्रभाव बैंक के निजीकरण के बाद कामकाज के तरीके में कुछ प्रशासनिक बदलाव आना तय है, लेकिन इसका बैंक खाताधारकों पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा।सुरक्षा सुनिश्चित: बैंक अकाउंट, जमा राशि, और ऋण (Loan) की शर्तें सब पहले की तरह बनी रहेंगी।सकारात्मक प्रभाव: ग्राहकों को निजी क्षेत्र के संचालन के तहत और भी बेहतर एवं उन्नत बैंकिंग सुविधाएं मिलने की संभावना है।संभावित बदलाव: छोटे-मोटे प्रशासनिक बदलाव जैसे कि Login ID, Checkbook या Passbook का नवीनीकरण हो सकता है।यह पूरा घटनाक्रम आने वाले समय में बैंक के शेयरों के प्रदर्शन पर भी अपनी छाप छोड़ेगा।








