जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक श्रीसंघों में भगवान महावीर के जन्मोत्सव



भगवान महावीर के सिद्धांत और आदर्श अनुकरणीय – मेहुलप्रभ सागर




बीकानेर , 24 अगस्त। जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक श्रीसंघों में पर्युषण पर्व के दौरान भगवान महावीर के जन्म का वाचन और उत्सव मनाया गया। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ और तपागच्छ ने रविवार को पर्युषण पर्व के अवसर पर भगवान महावीर का जन्मोत्सव मनाया। यह उत्सव कल्पसूत्र के प्रसंग के अनुसार आयोजित किया गया था। इस दौरान भगवान महावीर की माता त्रिशला देवी को स्वप्न में दिखाई दिए 14 शुभ वस्तुओं की बोलियाँ लगाई गईं। भक्ति गीतों, सजीव झाँकियों और बच्चों के नृत्यों के साथ पूरे उल्लास के साथ जन्मोत्सव मनाया गया। इस उत्सव में साधु-साध्वी और श्रावक-श्राविका सहित सभी ने सक्रिय रूप से भाग लिया।


गणिवर्य मेहुलप्रभ सागर जी का संदेश
ढढ्ढा कोटड़ी में प्रवचन करते हुए गणिवर्य मेहुलप्रभ सागर जी ने कहा कि भगवान महावीर के आदर्श, सिद्धांत और संदेश न केवल जैन धर्मावलंबियों, बल्कि पूरे विश्व के लिए अनुकरणीय हैं। उनके जीवन पर चिंतन-मनन करने से हमें जीवन का सही अर्थ और जीने की कला का ज्ञान होता है। उन्होंने 14 स्वप्नों में से पहले स्थान पर हाथी के महत्व और आत्मा के उत्थान के लिए 14 गुणस्थानकों का भी वर्णन किया। उन्होंने बताया कि ये गुणस्थानक कर्मों के आधार पर आत्मा की मानसिक स्थिति में परिवर्तन को दर्शाते हैं, जो अंततः मोक्ष की ओर ले जाते हैं।
अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा परिषद की बीकानेर इकाई ने बाड़मेर के भंसाली परिवार और संखलेता परिवार के सहयोग से गाजे-बाजे के साथ पालनाजी को चातुर्मास स्थल पर प्रतिष्ठित किया। कन्हैयालाल भुगड़ी ने 59 दिन का चौविहार उपवास पूरा किया, जिसकी अनुमोदना की गई।
सोमवार को आसानियों के चौक स्थित रामपुरिया उपासरे में भी भगवान महावीर का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। साध्वी सुव्रताश्रीजी ने अपने प्रवचन में कहा कि मनुष्य ही नहीं, बल्कि तीर्थंकरों को भी अपने पूर्व कर्मों के फल भोगने पड़ते हैं।
अन्य आयोजन और तपस्या
रांगड़ी चौक की तपागच्छीय पौषधशाला में साध्वी दीपमाला और शंख निधि के सान्निध्य में जन्मोत्सव मनाया गया। यह उत्सव भक्ति, त्याग और तपस्या का एक अनूठा संगम था।