झारखंड के ‘दिशोम गुरु’ शिबू सोरेन का 81 वर्ष की आयु में निधन, राज्य में 3 दिन का राजकीय शोक

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नई दिल्ली, 4 अगस्त। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री, आदिवासी समाज के बुलंद आवाज़ और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक संरक्षक श्री शिबू सोरेन का आज सुबह दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में निधन हो गया। वे 81 वर्ष के थे। उन्हें प्यार से “दिशोम गुरु” और “गुरुजी” के नाम से जाना जाता था। उनके निधन की खबर से झारखंड और पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। झारखंड सरकार ने उनके सम्मान में तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है, साथ ही 4 और 5 अगस्त को सभी सरकारी कार्यालय बंद रहेंगे।
दिल्ली के अस्पताल में ली अंतिम सांस
न्यूज़ एजेंसी ANI के मुताबिक, शिबू सोरेन को आज सुबह 8:56 बजे मृत घोषित किया गया। वे पिछले लगभग डेढ़ महीने से सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती थे और उनका इलाज चल रहा था। उन्हें ब्रेन स्ट्रोक हुआ था, जिससे उनके शरीर का बायां हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया था। पिछले एक महीने से वे लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थे। न्यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी और नेफ्रोलॉजी के डॉक्टरों की एक विशेष टीम उनकी देखभाल कर रही थी। शिबू सोरेन लंबे समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे और पिछले एक साल से डायलिसिस पर थे। उन्हें डायबिटीज की भी समस्या थी और उनकी हार्ट बाईपास सर्जरी भी हो चुकी थी। पिछले कुछ दिनों से उनकी हालत लगातार गंभीर बनी हुई थी।

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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दी भावुक श्रद्धांजलि
उनके निधन की खबर की पुष्टि उनके बेटे और झारखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने की। हेमंत सोरेन, जो शुक्रवार को ही दिल्ली पहुंच गए थे और गंगाराम अस्पताल में ही मौजूद थे, ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक भावुक संदेश में लिखा, “आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूँ।”

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झारखंड के ‘दिशोम गुरु’ शिबू सोरेन का 81 वर्ष की आयु में निधन, राज्य में 3 दिन का राजकीय शोक

एक युग का अंत: संघर्ष से सत्ता तक का सफर
शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को रामगढ़ जिले के गोला प्रखंड के नेमरा गांव में हुआ था। उनका जीवन संघर्षों से भरा रहा। महज 13 साल की उम्र में उनके पिता की हत्या महाजनों ने कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और महाजनों के शोषण के खिलाफ आदिवासियों को एकजुट करने का फैसला किया। 1970 में, उन्होंने धान कटनी आंदोलन की शुरुआत कर सूदखोर महाजनों के खिलाफ मुखर संघर्ष किया। इसी दौरान उन्हें ‘दिशोम गुरु’ की उपाधि मिली। एक बार महाजनों के गुंडों से घिर जाने पर उन्होंने बाइक समेत उफनती बराकर नदी में छलांग लगा दी और तैरकर दूसरे छोर पहुंच गए, जिसे लोगों ने दैवीय चमत्कार माना और उन्हें संथाली में ‘देश का गुरु’ यानी दिशोम गुरु कहने लगे। शिबू सोरेन ने झारखंड राज्य के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और आदिवासियों के अधिकारों के लिए आजीवन संघर्ष करते रहे। वह झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक थे।

राजनीतिक जीवन: उतार-चढ़ाव और केंद्रीय मंत्रिमंडल
शिबू सोरेन तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे, लेकिन तीनों कार्यकाल मिलाकर वे सिर्फ 10 महीने 10 दिन ही राज्य की कमान संभाल पाए। पहली बार वे 2 मार्च 2005 को मुख्यमंत्री बने, लेकिन बहुमत साबित न कर पाने के कारण 10 दिनों में ही इस्तीफा देना पड़ा। दूसरी बार वे 27 अगस्त 2008 को मुख्यमंत्री बने और पांच महीने बाद तमाड़ विधानसभा उपचुनाव हारने के बाद 18 जनवरी 2009 को फिर इस्तीफा दे दिया। तीसरी बार उन्होंने 30 दिसंबर 2009 को मुख्यमंत्री पद संभाला और 31 मई 2009 को इस्तीफा दे दिया, इस बार उनका कार्यकाल पांच महीने का रहा। वह यूपीए के पहले कार्यकाल के दौरान कोयला मंत्री भी रह चुके थे, हालांकि चिरूडीह हत्याकांड में नाम आने के बाद उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था।

नेताओं ने जताया शोक
शिबू सोरेन के निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे सहित देश के कई बड़े नेताओं ने गहरी संवेदना प्रकट की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शिबू सोरेन के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा कि “शिबू सोरेन जी का जाना एक युग का अंत है। उन्होंने आदिवासी समाज और झारखंड के लिए अविस्मरणीय योगदान दिया। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें।”। JMM प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने बताया कि शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर आज सोमवार शाम 5-6 बजे तक रांची लाया जाएगा। शिबू सोरेन के निधन को भारतीय राजनीति में एक युग का अंत माना जा रहा है, खासकर आदिवासी राजनीति में उनकी कमी हमेशा महसूस की जाएगी।

 

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