लक्ष्मीनारायण रंगा की 92वीं जयंती पर बीकानेर में ‘सृजन सौरम-हमारे बाऊजी’ समारोह का आगाज



बीकानेर,11 अक्टूबर। देश के ख्यातनाम साहित्यकार, रंगकर्मी, चिंतक और शिक्षाविद लक्ष्मीनारायण रंगा की 92वीं जयंती के अवसर पर बीकानेर में तीन दिवसीय ‘सृजन सौरम-हमारे बाऊजी’ समारोह का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत रंगा जी के व्यक्तित्व और कृतित्व को पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ-साथ उनकी चर्चित कविताओं के विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनुवाद वाचन के साथ हुई।
कार्यक्रम के मुख्य बिंदु
डॉ. उमाकांत गुप्त (वरिष्ठ आलोचक व शिक्षाविद):
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. गुप्त ने कहा कि लक्ष्मीनारायण रंगा एक प्रयोगधर्मी रचनाकार थे। उनका साहित्य, जो 150 से अधिक साहित्यिक विधाओं में फैला है, गंभीर दार्शनिक पृष्ठभूमि पर आधारित है। उन्होंने जोर देकर कहा, “रंगा जी का सृजन वर्तमान है, इतिहास नहीं।” उन्होंने रंगा को राजस्थान के एकमात्र साहित्यकार के रूप में रेखांकित किया, जिन्होंने विपुल और समग्र साहित्य सृजन किया।
बुलाकी शर्मा (वरिष्ठ कहानीकार-व्यंग्यकार):
मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए बुलाकी शर्मा ने रंगा को मानवीय संवेदना का कुशल चितेरा बताया। उन्होंने कहा कि रंगा न केवल साहित्यकार थे, बल्कि एक रंगकर्मी, रंग निर्देशक, नृतक और संगीतज्ञ भी थे। राजस्थान में बाल रंगमंच आंदोलन के अग्रणी रहे रंगा का साहित्य और प्रेरक व्यक्तित्व नई पीढ़ी के लिए हमेशा मार्गदर्शक रहेगा।
कमल रंगा (वरिष्ठ साहित्यकार):
कमल रंगा ने लक्ष्मीनारायण रंगा के साहित्य को समाज की महत्वपूर्ण समस्याओं, मानवीय चरित्र और संबंधों की जटिलताओं को व्यक्त करने वाला बताया। उनका साहित्य सामाजिक और मानवीय संवेदनाओं को गहराई से उजागर करता है।




भारतीय भाषाओं में कविताओं का अनुवाद वाचन
कार्यक्रम में रंगा जी की कविताओं का भारतीय भाषाओं में अनुवाद और वाचन हुआ, जिसने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। अनुवाद और वाचन करने वालों में
उर्दू: क़ासिम बीकानेरी, इसरार हसन कादरी, सिंधी: पीताम्बर सोनी, बंगाली: पूर्णिमा मित्रा ,संस्कृत: श्रीमती इला पारीक, हरिनारायण आचार्य ,राजस्थानी: जुगल किशोर पुरोहित , हिन्दी: विप्लव व्यास, अंग्रेजी: पुनीत कुमार रंगा, विजय गोपाल पुरोहित। अतिथियों ने अनुवाद की सराहना करते हुए कहा कि यह रंगा जी की कविताओं को अन्य भाषाओं के पाठकों तक पहुंचाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है।



स्वागत और संस्मरण
राजेश रंगा (वरिष्ठ शिक्षाविद):
कार्यक्रम की शुरुआत में राजेश रंगा ने सभी का स्वागत किया और समारोह के महत्व को रेखांकित करते हुए रंगा जी से जुड़े कुछ प्रेरक संस्मरण साझा किए।
उपस्थित गणमान्य व्यक्ति
कार्यक्रम में बीकानेर के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े गणमान्य व्यक्तियों ने हिस्सा लिया, जिनमें हरिदास हर्ष, जाकिर अदीब, बी.एल. नवीन, राजेंद्र जोशी, प्रमोद शर्मा, गिरिराज पारीक, अविनाश व्यास, दामोदर तंवर, गोविंद जोशी, गोपाल कुमार व्यास कुंठित, महेंद्र जोशी, नवनीत व्यास, कृष्ण चंद्र पुरोहित, आनंद छंगाणी, कैलाश टाक, भवानी सिंह, अशोक शर्मा, बाबूलाल छंगाणी ‘बमचकरी’, डॉ. फारूक चौहान, डॉ. गौरीशंकर प्रजापत, राहुल आचार्य, अरुण व्यास, आशीष रंगा, तोलाराम सारण, घनश्याम ओझा, अख्तर अली, कन्हैयालाल, शिव पंवार, चम्पालाल गहलोत, भैरूरतन रंगा आदि शामिल थे। सभी ने रंगा जी के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें साहित्य का महान साधक बताते हुए नमन किया।
संचालन और आभार
वरिष्ठ कवि बाबूलाल छंगाणी ‘बमचकरी’ ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया। वरिष्ठ इतिहासविद डॉ. फारूक चौहान ने सभी का आभार व्यक्त किया।
निष्कर्ष
यह समारोह लक्ष्मीनारायण रंगा के साहित्यिक और सांस्कृतिक योगदान को याद करने और नई पीढ़ी तक उनकी विरासत को पहुंचाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास था। उनके सृजन की प्रासंगिकता और व्यापकता आज भी उतनी ही जीवंत है, जितनी उनके समय में थी।
