जब तक साधु-साध्वी, श्रावक-श्राविकाएं आचारवान रहेंगे, तब तक चलेगा तेरापंथ-मुनि कमलकुमार



गंगाशहर, 04 सितम्बर। आचार्य श्री भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष के द्वितीय दिवस पर उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमलकुमार जी ने कहा कि जब तक तेरापंथ धर्मसंघ के अनुयायियों का जीवन साधनामय, प्रामाणिक और गुरु के प्रति निष्ठावान रहेगा, तब तक यह संघ गतिमान बना रहेगा। मुनिश्री ने ‘तब तक चलेगा तेरापंथ’ विषय पर अपने हृदयोद्गार प्रकट करते हुए कहा कि यह विषय व्यक्ति को ऊर्जावान, निर्मल और पराक्रमी बनाने वाला है। उन्होंने आचार्य भिक्षु के प्रारंभिक संघ निर्माण के दिनों का स्मरण कराते हुए एक प्रसंग सुनाया। उन्होंने बताया कि जब प्रथम मर्यादा पत्र का निर्माण और उत्तराधिकारी का चयन किया गया तो संघ के सदस्यों की संख्या 13 से घटकर मात्र 6 रह गई थी। लोगों ने आचार्य भिक्षु से मर्यादाएं बनाना बंद करने का निवेदन किया, ताकि शेष सदस्य भी न चले जाएं। इस पर आचार्य भिक्षु ने दृढ़तापूर्वक कहा, “साधु-साध्वियों की मर्यादाएं तो होनी चाहिए, जिससे उनका जीवन स्वच्छ और प्रेरणादायी बना रहे। संख्या बढ़ाने से न उनका कल्याण हो सकता है, न समाज का उत्थान। अगर ये सारे ही चले जाएंगे तो मैं तो रहूंगा ही। जब तक मैं रहूंगा, तब तक तो तेरापंथ चलेगा ही।”




मुनिश्री ने कहा कि आचार्य भिक्षु सत्य साधना के पक्षधर और निर्भीक थे, इसीलिए यह पंथ दिनों-दिन गतिमान बना हुआ है। उनके सतत क्रियाशील रहने, स्वाध्याय, ध्यान, लेखन और प्रवचन का ही सुपरिणाम है कि तेरापंथ आज जन-जन का पंथ बन रहा है। उन्होंने प्रत्येक संघ सदस्य से गुरुदृष्टि को अपनाकर आगे बढ़ने का आह्वान किया। इस अवसर पर मुनिश्री ने अपनी स्वरचित गीतिका का गान भी किया। कार्यक्रम में कांतादेवी सेठिया ने 9, प्रियंका रांका ने 16 और तारादेवी बैद ने 53 दिन का एवं गुष्त जोड़े ने सोलह एवं सात की तपस्या का प्रत्याख्यान किया।


कार्यक्रम के दौरान सभा के मंत्री जतन संचेती, तेरापंथ महासभा के संरक्षक जैन लूणकरण छाजेड़, जतनलाल दुग्गड़, धर्मेन्द्र डाकलिया, करणीदाना रांका, अजित संचेती, ललित राखेचा, कविताचोपड़ा , गरिमा भंसाली ने भी अपने विचार रखे। शुक्रवार को स्वामीजी की तेरस के अवसर पर तेरापंथ भवन में अखंड जाप एवं सायं को धम्मजागरणा का कार्यक्रम रखा गया है। अनेक श्रद्धालुओं ने सामायिक एवं जप में सहभागी बनने का संकल्प लिया।