ऊंट पालन को बढ़ावा देने के लिए बीकानेर में प्रशिक्षण शिविर

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बीकानेर, 25 अगस्त। बीकानेर के राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र (एनआरसीसी) में आज से ऊंट पालकों के लिए पांच दिवसीय प्रशिक्षण शिविर शुरू हुआ। इस शिविर में राजस्थान के चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, उदयपुर और मध्य प्रदेश के मंदसौर, नीमच जिलों से आए ऊंट पालक भाग ले रहे हैं।
प्रशिक्षण का उद्देश्य
इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य ऊंटों की घटती संख्या को रोकना और ऊंट पालन को एक लाभदायक व्यवसाय बनाना है। एनआरसीसी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. समर कुमार घौरुई ने बताया कि ऊंटनी का दूध मधुमेह, टीबी और ऑटिज्म जैसी बीमारियों के इलाज में फायदेमंद होता है, और इसके विपणन पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने किसानों से मिश्रित कृषि (खेती और पशुपालन) अपनाने का भी आग्रह किया।

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ऊंट पालकों को किया जा रहा है सशक्त
परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ. वेद प्रकाश ने अपने संदेश में कहा कि इस प्रशिक्षण में ऊंट पालक ऊंटों के प्रबंधन और स्वास्थ्य से संबंधित विशेषज्ञ ज्ञान प्राप्त करेंगे। उन्होंने कहा कि परियोजना का लक्ष्य मेवाड़ी, मेवाती और मालवी जैसी ऊंटों की नस्लों के संरक्षण और संवर्धन के लिए ऊंट पालकों को सशक्त बनाना है। प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. बसंती ज्योत्सना ने बताया कि इस शिविर में ऊंटों के प्रजनन, स्वास्थ्य प्रबंधन, और दूध प्रसंस्करण के साथ-साथ दूध से बने उत्पादों के निर्माण और उद्यमिता विकास योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी जाएगी।

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