दत्तोपंत ठेंगड़ी जी का निर्वाण दिवस ‘सामाजिक समरसता दिवस’ के रूप में मनाकर श्रद्धांजलि दी गयी

shreecreates
quicjZaps 15 sept 2025

बीकानेर, 14 अक्टूबर । भारतीय मजदूर संघ (BMS) बीकानेर ने आज जोधपुर विद्युत वितरण निगम श्रमिक संघ कार्यालय में सुप्रसिद्ध विचारक और भारतीय मजदूर संघ के संस्थापक दत्तोपंत ठेंगड़ी जी के निर्वाण दिवस को ‘सामाजिक समरसता दिवस’ के रूप में मनाया। इस अवसर पर उनके जीवन और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।

indication
L.C.Baid Childrens Hospiatl
SETH TOLARAM BAFANA ACADMY

ठेंगड़ी जी का जीवन और वैचारिक योगदान
प्रदेश उपाध्यक्ष गौरीशंकर व्यास ने बताया कि दत्तोपंत ठेंगड़ी जी का जन्म 10.11.1920 को हुआ। उन्होंने बाल्यावस्था में ही स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भागीदारी की और डॉ. हेडगेवार के संपर्क में आने के बाद संघ के विचार उनके मन में गहराई से बैठ गए। एम.ए. और कानून की शिक्षा पूरी कर वे 1941 में प्रचारक बन गए।

pop ronak
kaosa

संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्री गुरुजी के कहने पर उन्होंने मजदूर क्षेत्र में काम शुरू किया। विभिन्न संगठनों में अनुभव प्राप्त करने के बाद, उन्होंने भारतीय मजदूर संघ (BMS) नामक गैर-राजनीतिक संगठन की स्थापना की, जो आज देश का सबसे बड़ा मजदूर संगठन है। मुख्य अतिथि शिवलाल तेजी ने बताया कि ठेंगड़ी जी के प्रयासों से श्रमिक और उद्योग जगत के नए रिश्ते आरम्भ हुए। कम्युनिस्टों के नारे (जैसे ‘चाहे जो मजबूरी हो, माँग हमारी पूरी हो’) के विपरीत, BMS ने नया नारा दिया: “देश के हित में करेंगे काम, काम के लेंगे पूरे दाम” और “कमाने वाला खिलायेगा”, जिसने मजदूर क्षेत्र के दृश्य को बदल दिया। उनके प्रयासों से ही अब 17 सितंबर को ‘विश्वकर्मा जयंती’ को श्रमिक दिवस के रूप में पूरे देश में मनाया जाता है, जिसने मई दिवस की परम्परा को बदला।

बहुआयामी भूमिका और लेखन
प्रदेश कार्यसमिति सदस्य हनुमान दास राव ने बताया कि ठेंगड़ी जी ने 1951 से 1953 तक मध्य प्रदेश में ‘भारतीय जनसंघ’ के संगठन मंत्री के रूप में कार्य किया, लेकिन मजदूर क्षेत्र में आने के बाद उन्होंने राजनीति छोड़ दी।

राजनीतिक एवं सामाजिक भूमिका: वे दो बार (1964-1976) राज्यसभा के सदस्य रहे। उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, स्वदेशी जागरण मंच, भारतीय किसान संघ, सामाजिक समरसता मंच आदि की स्थापना में भी प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने विश्व के अनेक देशों का प्रवास कर मजदूर आन्दोलन और सामाजिक स्थिति का अध्ययन किया। चीन और रूस जैसे कम्युनिस्ट देश भी श्रमिक समस्याओं पर उनसे परामर्श करते थे। वे अनेक भाषाओं के ज्ञाता थे और उन्होंने 40 से अधिक पुस्तकें लिखीं, जिनमें ‘एकात्म-मानव-दर्शन’, ‘ध्येय-पथ’, ‘बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर’ आदि प्रमुख हैं।

श्रद्धांजलि और समापन
ठेंगड़ी जी का देहान्त 14 अक्टूबर 2004 को हुआ। तभी से भारतीय मजदूर संघ द्वारा इस दिन को सामाजिक समरसता दिवस के रूप में मनाया जाता है। विचार गोष्ठी कार्यक्रम में जिला अध्यक्ष रेखा पंडित, जिला कार्यकारी अध्यक्ष शिवदत्त गौड़, श्रमिक संघ वृत महामंत्री रामदेव सांखला सहित अनेक सदस्यों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और अपने विचार व्यक्त किए।

 

mmtc 2 oct 2025

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *