गंगाशहर में “दांपत्य की डोर – एक सुनहरी भोर” कार्यशाला संपन्न: सुखी वैवाहिक जीवन के सूत्र और वर्तमान चुनौतियाँ



शांति निकेतन, गंगाशहर, 17 अगस्त। श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा और तेरापंथ महिला मंडल गंगाशहर के संयुक्त तत्वावधान में आज प्रातः 8:30 बजे शांति निकेतन प्रांगण में “दांपत्य की डोर – एक सुनहरी भोर” विषय पर एक महत्वपूर्ण कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला का उद्देश्य सुखी और सफल वैवाहिक जीवन के रहस्यों को उजागर करना था।




सुखी दांपत्य जीवन के सूत्र
सेवाकेंद्र व्यवस्थापिका साध्वीश्री विशदप्रज्ञा ने अपने उद्बोधन में सुखी दांपत्य जीवन के सूत्र बताते हुए कहा कि “विवाह” शब्द केवल तीन अक्षरों का समूह नहीं है। उन्होंने ‘वि’ से विश्वास, ‘वा’ से वायदा और ‘ह’ से हमराही के रूप में इसका विश्लेषण करते हुए कहा कि विवाह के समय लिए गए संकल्पों का जीवनभर पालन करना चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि यदि जीवनसाथी क्रिया की प्रतिक्रिया न करें और गलती का परिष्कार करें, तो दांपत्य जीवन सुखी बन सकता है।
उपस्थित दंपति प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए साध्वी श्री लब्धियशा ने कहा कि मनुष्य अकेला ही जन्म लेता है और अकेला ही मृत्यु को प्राप्त करता है, लेकिन इन दोनों के मध्य वह अकेला नहीं रह पाता और अनेक संबंध बनाता है। इन संबंधों में सबसे महत्वपूर्ण पति-पत्नी का संबंध है। उन्होंने पति-पत्नी के अंग्रेजी शब्द ‘कपल’ (Couple) के अक्षरों की व्याख्या करते हुए कहा कि समझौता (Compromise), खुले विचार (Open-mindedness), आपसी समझ (Understanding), धैर्य (Patience), वफादारी (Loyalty) और मनोरंजन (Entertainment) आदि की सहायता से दांपत्य जीवन को सुखमय बनाया जा सकता है।


वर्तमान चुनौतियाँ और संबंधों में समरसता
कार्यशाला की मुख्य वक्ता राजकीय महाविद्यालय गंगाशहर की प्राचार्या श्रीमती बबीता जैन ने अपने वक्तव्य में कहा कि कार्यशाला का विषय अति प्रासंगिक है। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि वर्तमान समय में दांपत्य जीवन अनेक झंझावातों से गुजर रहा है, जिसमें लिव-इन रिलेशनशिप, लव जिहाद, तलाक और भोगवाद का बाजारीकरण प्रमुख हैं। इनके कारण परिवार व्यवस्था चरमरा रही है और दांपत्य जीवन खंडित हो रहा है। श्रीमती जैन ने संबंधों में समरसता बढ़ाने के सूत्र देते हुए पंचतंत्र के आधार पर प्रेम के छह लक्षणों को समझाया: देना, लेना, गुप्त बात को साझा करना, गुप्त बात को पूछना, खाना और खिलाना।
कार्यक्रम के अन्य आकर्षण
कार्यक्रम का शुभारंभ राजेंद्र संतोष बोथरा द्वारा प्रस्तुत मंगलाचरण से हुआ। महिला मंडल अध्यक्ष प्रेम बोथरा और संतोष बोथरा ने स्वागत वक्तव्य दिया। मुकेश हेमा पारख ने नाट्य मंचन किया, जिसने दर्शकों का मन मोह लिया। जैन लूणकरण -भावना छाजेड़, धीरेंद्र बोथरा, राजेंद्र मधु सेठिया, प्रकाश सरिता भंसाली और प्रमोद विद्या चौरडिया ने अपने प्रेरक संस्मरण सुनाए। रुचि छाजेड़ द्वारा कविता प्रस्तुत की गई, और मंजू लूणिया ने प्रतिभागियों को बौद्धिक खेल खिलाए।
आभार ज्ञापन सभा कोषाध्यक्ष रतन लाल छलाणी ने किया, और कार्यक्रम का सफल संचालन अशोक रेखा चौरडिया ने संयुक्त रूप से किया। यह कार्यशाला वैवाहिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण और सराहनीय पहल थी।