रांगड़ी चौक में नवपद ओली के तीसरे दिन ‘आचार्य पद’ की आराधना



बीकानेर, 01 अक्टूबर । जैन धर्म के आध्यात्म पर्व नवपद ओली के तीसरे दिन बुधवार को रांगड़ी चौक स्थित सुगनजी महाराज के उपासरे में आचार्य पद की महिमा, स्तुति व वंदना के साथ यह पर्व मनाया गया। यह आयोजन गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर जी, मुनि मंथन प्रभ सागर जी, बाल मुनि मीत प्रभ सागर जी, साध्वी दीपमाला श्रीजी, व शंखनिधि श्रीजी के पावन सान्निध्य में संपन्न हुआ।




आचार्य भगवंत: सदाचार के भंडार और शासन की धुरी
गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर जी महाराज ने प्रवचन के दौरान गुरु तत्व की महिमा का स्मरण कराते हुए कहा कि सही तरीके से जीवन की शुरुआत गुरु के बिना नहीं हो सकती। उन्होंने बताया कि मन पशु के समान है, और नवपद ओली में पहले दो दिन देव तत्व की आराधना के बाद, पर्व के तीसरे दिन गुरु तत्व की आराधना की जाती है। गणिवर्य ने आचार्य भगवंत की महत्ता बताते हुए कहा कि आचार्य भगवंत सदाचार के भंडार होते हैं और अरिहंत भगवान के विहार के बाद शासन की धुरी को वहन करने का कार्य करते हैं। स्वरूप निर्माता: अरिहंत और सिद्ध का स्वरूप बनाने वाले आचार्य भगवंत ही होते हैं। धर्म का प्रसारण: वे भगवान महावीर के शासन का प्रसारण करने वाले होते हैं। आचार्य ही जिनवाणी के अर्थ की वांचना देते हैं और स्वयं पंचाचार का पालन करते हुए उसकी पालना की प्रेरणा देते हैं।



उपकार का स्मरण: गणिवर्य ने सभी से आचार्य भगवंतों के उपकारों का स्मरण करने और शासन की गरिमा को समझने का पुरुषार्थ करने का आह्वान किया। उन्होंने यह भी बताया कि देव तत्व की आराधना करने से सम्यक दर्शन, ज्ञान, चारित्र व तप की प्राप्ति होती है।

