युवा प्राच्य साहित्य से जुड़ें और उसका संरक्षण करें – मुनिश्री कमलकुमार


बीकानेर, 21 नवंबर । राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, बीकानेर और अणुव्रत समिति, गंगाशहर के संयुक्त तत्वावधान में आज प्रतिष्ठान परिसर में ‘जैन प्राच्य साहित्य जागरूकता संगोष्ठी’ का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी उग्र विहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमलकुमार जी के सान्निध्य में संपन्न हुई।
साहित्य के माध्यम से सुरक्षित रहेगी संस्कृति
अणुव्रत समिति के अध्यक्ष करणीदान रांका ने बताया कि मुनिश्री कमलकुमार जी ने अपने मंगल पाथेय में कहा कि “भारतीय संस्कृति और संस्कार साहित्य के माध्यम से ही सुरक्षित रह सकते हैं।” उन्होंने प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान की सराहना करते हुए कहा कि प्रतिष्ठान ने इस अनमोल साहित्य सम्पदा को सुरक्षित किया है। उन्होंने सभी लोगों से प्रतिष्ठान से जुड़ने और उपलब्ध साहित्य के माध्यम से विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ बनने का आह्वान किया।
युवा पीढ़ी को जुड़ना ज़रूरी
मंत्री कन्हैयालाल बोथरा ने बताया कि प्रतिष्ठान के वरिष्ठ अनुष्ठान अधिकारी डॉ. नितिन गोयल ने अपने संबोधन में कहा कि शताब्दियों पुरानी पांडुलिपियों को ढूँढना और पढ़ना कठिन है, इसलिए उन्हें संरक्षित करने और पढ़ने वाली नई पीढ़ी तैयार करने की आवश्यकता है। उन्होंने सामाजिक संस्थाओं और युवा पीढ़ी से इस विरासत से जुड़ने का आग्रह किया, ताकि पांडुलिपियों का अनुवाद किया जा सके और वे वर्तमान तथा भावी पीढ़ी के लिए उपयोगी बन सकें। उन्होंने निरंतर संगोष्ठियों के माध्यम से जुड़ाव और प्रबंधन पर बल दिया।
इस अवसर पर भाजपा अध्यक्ष सुमन छाजेड़, पूर्व महापौर नारायण चोपड़ा, आचार्य तुलसी प्रतिष्ठान के पूर्व अध्यक्ष हंसराज डागा और अरिहंतमार्गी श्रावक संघ के अध्यक्ष डॉ. नरेश गोयल सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। सभी ने प्राच्य विद्या के संरक्षण हेतु चल रहे प्रयासों की सराहना की।











