2552 वीर निर्वाण वर्ष मनाया , वृह्द मंगल पाठ हुआ



नववर्ष के उपलक्ष्य में हुआ 13 वें बड़े तप का प्रत्याख्यान- मुनि कमलकुमार




गंगाशहर, 22 अक्टूबर 2025। अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ति उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमलकुमार जी स्वामी के पावन सान्निध्य में भगवान महावीर के 2552वें निर्वाणोत्सव का कार्यक्रम बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। मुनिश्री ने कहा कि वीर निर्वाण संवत न केवल समय की गणना के लिए, बल्कि जैन धर्म के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाने के लिए भी उपयोगी है। यह जैनियों के नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है, जो दीपावली के ठीक बाद शुरू होता है।
इस अवसर पर मुनिश्री कमलकुमार जी स्वामी ने अपने विचार प्रकट करते हुए फरमाया कि गुरूदेव की कृपा से देश विदेश की यात्राएं करने का अवसर प्राप्त हुआ। उन यात्राओं में सफलता का कारण गुरुदेव की कृपा और भगवान की वाणी का आलंबन था। हम अनेकांत को साथ लेकर चलते हैं ’ऐसा ही नहीं , ऐसा भी ने इस बिन्दु को सदा स्मृति में रखते हैं। आप लोग भी भगवान की वाणी को निरंतर साथ रखें जिससे आप लोगों का गृहस्थ जीवन भी आनंदमय हो।




आज के इस पावस अवसर पर सुश्राविका उपासिका ज्ञानशाला की प्रशिक्षिका कनकदेवी गोलछा ने 31 दिवसीय तपस्या पर मुनिश्री ने फरमाया कि आज इस दीर्घ प्रवास में 13वें बड़े तप का प्रत्याख्यान होने जा रहा है इससे पूर्व 54,51,31,29,27 के कुल भाई बहनों के 9 प्रत्याख्यान हो चुके हैं आज यह 10वां है। संतों में 17,22,23,24,39,40 तो केवल नमिमुनि के हुवे हैं आज 6 की तपस्या है 7 का प्रत्याख्यान कर रहे हैं। मुनि श्रेयांस कुमार जी ने 5,12,13,34 के साथ धर्मचक्र और कंठीतप किया वर्षीतप चल ही रहा है।
मुनिश्री ने फरमाया तपस्या इस लोक और परलोक में सुयश हो इसलिये नहीं केवल कर्म निर्जरा के लिए तपस्या का उपक्रम सब तरह से आनंदकारी होता है। मुनिश्री ने तपस्या के वर्धापन के लिए गीत का संगान किया। कार्यक्रम में साध्वी प्रमुखा श्री विश्रुत विभाजी के संदेश का वांचन सभा के उपाध्यक्ष पवन छाजेड़ ने तथा सुमति मुनि के संदेश का वांचन मुनि श्रेयांसकुमार जी ने किया तपस्या के वर्धापन पर प्रकाश गोलछा व प्रेक्षा गोलछा पिता पुत्री ने गीत का संगान किया। तेरापंथी सभा की तरफ से संदेश व साहित्य से तपस्विनी का सम्मान महिला मंडल की सदस्याओं ने किया। नववर्ष पर प्रेक्षाध्यान के 50 वर्ष होने के उपलक्ष्य में अंतरराष्ट्रीय पत्रिका”प्रेक्षाध्यान ” का विशेषांक संपादक जैन लूणकरण छाजेड़ ने मुनिश्री को अर्पित की।
2552 वीर निर्वाण वर्ष के नव वर्ष पर सभा संस्थाओं की तरफ से अपनी बात कहते हुए गंगाशहर तेरापंथ न्यास से ट्रस्टी जैन लूणकरण छाजेड़ ने कहा कि वीर निर्वाण संवत 527 ई.पू. में शुरू हुआ, जब भगवान महावीर ने बिहार के पावापुरी में कार्तिक कृष्ण अमावस्या (दीपावली के दिन) मोक्ष प्राप्त किया।यह संवत विक्रम संवत से सामान्यतः 470 वर्ष पुराना होता है। उदाहरण के लिए, विक्रम संवत 2082 में वीर निर्वाण संवत 2551 है । शक संवत से इसका अंतर 603 वर्ष, 5 महीने और 11 दिन माना जाता है। उन्होंने कहा कि जैन पंचांग में यह एक चंद्र-सौर (लुनिसोलर) कैलेंडर है, जिसमें 12 या 13 महीने (लीप वर्ष में) होते हैं। महीनों के नाम हैं: कार्तक, मगसर, पोष, महा, फागन, चैत्र, वैशाख, जेठ, आषाढ़, श्रवण, भादरवो, आसो। एक सामान्य वर्ष में 353-355 दिन और लीप वर्ष में 383-385 दिन होते हैं।छाजेड़ ने कहा कि जैन समुदाय इसे धार्मिक और व्यावसायिक कार्यों, विशेष रूप से दीपावली के बाद नए लेखा वर्ष की शुरुआत के लिए उपयोग करता है। दीपावली के अगले दिन (कार्तिक शुक्ल एकम) को वीर निर्वाण संवत्सर पूजा की जाती है, जिसे नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने ऐतिहासिक साक्ष्य की चर्चा करते हुए कहा कि सबसे प्राचीन उल्लेख यति-वृषभ के तिलोय-पन्नति (6ठी शताब्दी ईस्वी) में मिलता है। नववर्ष की शुभकामनाएं व मंगलकामनाएं प्रदान की.
तेरापंथ सभा के अध्यक्ष नवरतन बोथरा ने कहा कि आज आज हम सब पहली बार जैन नववर्ष मुनि श्री की प्रेरणा से मना रहे हैं। यह दिन केवल एक नए वर्ष का आरंभ नहीं, बल्कि नव चिंतन, नव संकल्प और नव चेतना का प्रतीक है। जैन धर्म हमें सिखाता है कि सच्चा नववर्ष वह नहीं जब केवल कैलेंडर का पन्ना बदलता है,
बल्कि वह जब हमारा मन, विचार और आचरण नई दिशा में अग्रसर होते हैं। बोथरा ने कहा कि नव वर्ष में उग्र विहारी तपोमूर्ति मुनि श्री कमल कुमार जी के सान्निध्य में हम सबका यह दायित्व है कि हम अपने जीवन में संयम, सत्य और अहिंसा को और गहराई से अपनाएँ।
तेरापंथ महिला मंडल की प्रवीण बोथरा ने कहा कि यह पवित्र दिन भगवान महावीर के निर्वाण की स्मृति में मनाया जाता है, जिन्होंने हमें अहिंसा, सत्य, और करुणा का मार्ग दिखाया। वीर निर्वाण संवत 2552 का यह नया वर्ष हमारे लिए नई प्रेरणा, नई ऊर्जा, और नई शुरुआत का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि तेरापंथ महिला मंडल की तरफ से व अपनी तरफ से हार्दिक शुभकामनाएं देती हूँ। यह नववर्ष हमें प्रेरित करता है कि हम अपने कर्मों को शुद्ध करें, दूसरों के प्रति दया और प्रेम का भाव रखें, और समाज में सकारात्मक बदलाव लाएं।
आचार्य तुलसी शान्ति प्रतिष्ठान से उपाध्यक्ष किशनलाल बैद, तेरापंथ युवक परिषद् के अध्यक्ष ललित राखेचा, कन्या मण्डल संयोजिका मुस्कान, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के अध्यक्ष रतनलाल छलाणी, अणुव्रत समिति के मंत्री कन्हैयालाल बोथरा, उपासक राजेन्द्र सेठिया ने नववर्ष की शुभकामनायें देते हुए अपने जीवन को अध्यात्म व त्याग की तरफ आगे बढ़ने की बात कही । मुनिश्री के वृह्द मंगलपाठ के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

