राष्ट्रीय कवि चौपाल की 503 वीं कड़ी आयोजित हुयी


- चुप रहो समझो मेरे बंद होंठों की भाषा को..
- राम लिखूं और अरथाऊं, ऐसे तो मेरे कर्म नहीं.
बीकानेर , 17 फ़रवरी। राष्ट्रीय कवि चौपाल की 503 वीं कड़ी सतीत्व पतिव्रत्य को अर्थात मां सीता को समर्पित रही। इस अनुठी सरस्वती सभा के अध्यक्षता में श्री मती इंद्रा व्यास, व मुख्य अतिथि श्रीमती मोनिका गोड़ , विशिष्ट अतिथि में डॉ बसंती हर्ष, डॉ विजय लक्ष्मी, डॉ सुषमा व्यास, श्रीमती सुषमा सिंह, श्रीमती सुनीता गुलाटी एवं श्रीमती सुनीता विश्नोई आदि साहित्य वृंद से मंच शोभित हुआ। शकूर साहब ने सरस्वती वंदना से कार्यक्रम शुभारम्भ किया। कार्यक्रम अध्यक्ष श्रीमती इंद्रा व्यास ने “उसने कहा चुप रहो समझो मेरे बंद होंठों की भाषा को”.. श्री मती मोनिका गोड ने “श्री राम लिखूं और अरथाऊं, ऐसे तो मेरे कर्म नहीं” डॉ बसंती हर्ष ने “कविता लिखो हे कवि वर, कुम्हलाए हृदय को हर्षाओ”. सुषमा सिंह ने “जब तक नहीं मिटता अंधेरा, दीप जलाएंगे”.. डॉ सुषमा बिस्सा ने “आभार नारी शक्ति का.. सुनीता गुलाटी ने “ओ मां ओ मां तूं कितनी अच्छी.. प्रमोद शर्मा ने “हर एक परीक्षा अग्नि वाली, जनक दुलारी देती”.. सुनाकर दाद बटोरी।




रामेश्वर साधक ने “वह यश कीर्ति क्षय हो जाए जिसका इतिहास न लिखा जाए”, कासिम बीकानेरी ने “रस्मो की रिवाज़ों की निगहबान है औरत”.शकूर बीकाणवी ने “फिजा क्यूं बदलती है भारत पुनः”.. डॉ किशन लाल विश्नोई ने “कांई करै मुर्खताई छोड़ सगरी बिरधाई”.. मधुरिमा सिंह ने” कभी कभी बचपन बहुत याद आता है”.. कृष्णा वर्मा ने “मां बाप से बढ़कर नहीं कोई खजाना”. शमीम अहमद ने “मम्मी का प्यार जनत की हवा”… दार्शनिक रचना सुनाई।


राजकुमार ग्रोवर ने “अंखियों से गोली मारे, जननी उसकी मांई.”. राजू लखोटिया ने” तुमसे मिली नजर मेरे होश”.. गीत पर बांसुरी वादन किया.. पवन चढ्ढा ने “कोई नहीं परदेश में मेरा, किसको हाल”.. महेश बड़ गुर्जर ने “संसार सागर है तो माता पिता एक नाव”रचना सुनाकर सदन का मन मोह लिया। कार्यक्रम में शिवप्रकाश दाधीच, हरिकिशन व्यास, सिराजुद्दीन भुट्टा परमेश्वर सोनी एम रफीक कादरी, शिव प्रकाश शर्मा आदि कई गणमान्य साहित्य अनुरागी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संयोजन कासिम बीकानेरी ने किया।