हिन्दी कविता पर परिसंवाद एवं काव्य गोष्ठी का हुआ आयोजन

shreecreates
quicjZaps 15 sept 2025
  • तमाम प्रार्थनाएं रह गई अनुत्तरित, कल्पनाएं भाप बनकर उड़ गई- शैलेंद्र चौहान

श्रीडूंगरगढ़ , 3 जनवरी । राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति द्वारा हिन्दी कविता पर परिसंवाद एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। परिसंवाद में आमंत्रित जयपुर के कवि शैलेन्द्र चौहान ने अपनी रचनात्मक और सर्जनात्मक प्रविधियों को साझा करते हुए कहा कि परम्पराएं परिवर्तनशील होती हैं, रूढ़ नहीं रहती। समय के साथ होने वाले इस परिवर्तन में ही सामाजिक कल्याण का मार्ग छिपा होता है। कविता के सौंदर्य और शिल्प पर अभिमत रखते हुए उन्होंने कहा कि कवि द्वारा कविता जिसके लिए लिखी जाती है या जिस उद्देश्य से लिखी जानी होती है, उन्हें उस कविता का भाव पक्ष समझ में आना चाहिए। परिसंवाद में नव-सृजित कविता ईश्वर की चौखट पर का वाचन करते हुए चौहान ने कहा कि ‘ तमाम प्रार्थनाएं रह गई अनुत्तरित, कल्पनाएं भाप बनकर उड़ गई।’ उन्होंने सुंगन्ध, दक्षिण की यात्रा, ईश्वर की चौखट, दया, संकुचन व नौ रुपये चालीस पैसे कविताएं साझा की।

indication
L.C.Baid Childrens Hospiatl

परिसंवाद में अध्यक्षीय उद्बोधन करते हुए राजस्थानी अकादमी के पूर्व अध्यक्ष कवि श्याम महर्षि ने कहा कि कविता में रूढ़ परम्पराओं का होना आम आदमी की बात है। परम्पराएं बदलती रहती है। परिवर्तन के इस दौर में रोम, मिश्र, चीन की सभ्यताएं नष्ट हुई है, परन्तु भारतीय संस्कृति आज भी जीवंत और जीवित है। चर्चा में भाग लेंते हुए भाषाविद साहित्यकार डॉ.मदन सैनी ने कहा कि कविता मनुष्य के भावों को व्यक्त करती है। कविताओं के माध्यम से कवि अपने भावों का गान करता है। डॉ.महावीर पंवार ने भी विचार व्यक्त किये।

pop ronak
kaosa

साहित्यकार सत्यदीप के संयोजन में आयोजित परिसंवाद में बजरंग शर्मा, सत्यनारायण योगी, रामचंद्र राठी, मनीष सैनी, तुलसीराम चोरड़िया, डॉ.विनोद सुथार, डॉ.राजेश सेवग सहित कई विद्वान सहभागिता की।

भीखाराम चान्दमल 15 अक्टूबर 2025
mmtc 2 oct 2025

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *