कार्यकर्ता प्रशिक्षण कार्यशाला का हुआ आयोजन

shreecreates

संगठन का प्राणतत्व है अहम विलय – साध्वी उदितयशा

indication
L.C.Baid Childrens Hospiatl
SETH TOLARAM BAFANA ACADMY

चेन्नई ,1 जून। आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी उदितयशाजी ठाणा 4 के सान्निध्य में तेरापंथ सभा की आयोजना में माण्डोत गार्डन, तंडियारपेट में ‘प्लग इनटू रूट, टू गेट बेटर फ्रूट’ – कार्यकर्ता प्रशिक्षण कार्यशाला का रविवार को आयोजन हुआ। नमस्कार महामंत्र समुच्चारण के पश्चात सभा सदस्यों ने मंगलाचरण गीत प्रस्तुत किया। समुपस्थित धर्मसंघ के कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण प्रदान करते हुए साध्वी उदितयशा ने कहा कि हमारी शक्ति का स्त्रोत संगठन में ही निहित है। हमारा प्रत्येक कदम, प्रत्येक चिंतन, प्रत्येक व्यवहार संगठन को मजबूत बनाने में हो। आचार्य भिक्षु का यह तेरापंथ धर्मसंघ समर्पण का संगठन है। उसका प्राणतत्व है- अहम विलय, अंहकार विसर्जन। हम पद, अधिकारों की अपेक्षा हमारे चिन्तन के दायरे को विस्तृत बनाकर संघ सेवा में योगभूत बने। परिवार हो या सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक संगठन- उसमें अनुशासन जरूर होना चाहिए। हमारा श्रम संगठन को नवीन सिंचन देने में लगे। मनभेद, मतभेद की गांठों को खोलने वाले बने। संघ, संगठन के लिए तपने वाले, जपने वाले, खपने वाले बने। हम कार्यक्रम नहीं, अपितु कार्य करें। आवश्यक चीजों, कार्यो में अपना समय नियोजन करें।

pop ronak

संगठन का मूल आधार स्तंभ है- आध्यात्म

तीन घण्टे तक लगातार चली कार्यशाला में विशाल संख्या में चेन्नई के विविध क्षेत्रों से समागत श्रावक समाज को विशेष पाथेय प्रदान करते हुए साध्वी ने आगे कहा कि सभा, संगठन का मूल आधार स्तंभ है- आध्यात्म। हम मूल में भूल न करे। जहां श्रद्धा की बात हो वहां जरूर हाँ में हाँ मिलाये। श्रावक संदेशिका में उल्लेखित नियमों, तथ्यों की जानकारी अवश्य हो। उलझनों को अध्यात्म के माध्यम से सुलझाएं। अपने आप को तोलते हुए आगे बढ़े। श्रावक कार्यकर्ता बने। साध्वीश्री ने श्रावक समाज के प्रश्नों का यथोचित समाधान दिया।

कुशल संचालन करते हुए साध्वी संगीतप्रभाजी ने कहा कि तेरापंथ श्रावक कार्यकर्ता संयम सम्पन्न होता हैं, त्यागवान होता हैं। हम संघ के ऋण से उऋण बनने की दिशा में आगे बढ़े। वही मनुष्य विकास को प्राप्त कर सकता है जो धरती से जुड़ा रहता है, जड़ों से जुड़ा रहता है, समता में रहता है। हमारी पहचान धर्मसंघ से हैं, उसकी गरिमा से हम गौरवान्वित बने। साध्वी भव्ययशाजी ने कहा कि हम संगठन के लिए जी एस टी अदा करे। जी यानि ˈग्रैटिट्‌यूड्‌- कार्य करने वाले कार्यकर्ता के प्रति प्रमोद भाव रखे, कृतज्ञता ज्ञापित करे। एस यानि ˈसैक्‌रिफ़ाइस्‌- सैनिक की तरह संघ, संगठन के लिए बलिदानी बने। एक- एक ईट मिलकर इमारत बनती है, उसी तरह हिलमिल कर कार्य करे। टी यानि ट्रस्‍ट्‌- विश्वासी बने। ज्ञान या धन एक बार जाने पर पुनः मिल सकता है, लेकिन विश्वास टूटने पर पुन: नहीं जुड़ सकता।

साध्वी शिक्षाप्रभाजी ने ध्यान के माध्यम से नौ मंगल भावनाओं से परिषद को भावित किया। माण्डोत गार्डन की ओर से पूनमचन्द माण्डोत ने अपने विचार व्यक्त किए। आभार ज्ञापन सभा मंत्री गजेंद्र खांटेड ने दिया। शुभ संकल्पों, मंगल पाठ के साथ कार्यशाला सम्पन्न हुई। उपरोक्त जानकारी स्वरूप चन्द दाँती ने दी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *