पांच मुमुक्षुओं ने ली भागवती दीक्षा, बीकानेर की रेखा सोनावत साध्वीश्री रामरूचि व दो बाल पुत्र राममूर्ति व रामहंस मुनि बने

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  • आचार्य प्रवर रामलालजी के सान्निध्य में अबतक 436 दीक्षाएं

बीकानेर, 4 जून। साधुमार्गी जैन संघ के श्री सुधर्मा स्वामी के 82 वें पट्टधर के रुप में आचार्य प्रवर रामलालजी व बहुश्रुत वाचनाचार्य उपाध्याय प्रवर राजेश मुनि आदिठाणा के सान्निध्य बुधवार कोे सेठिया कोटड़ी में दो बालक व तीन मुमुक्षुओं ने भागवती दीक्षा ग्रहण की। श्री अखिल भारतीय साधुमार्गी जैन संघ के महेश नाहटा ने बताया कि समता मुमुक्षु हैदराबाद निवासी भीनासर-बीकानेर प्रवासी 39 वर्षीय श्रीमती रेखा सोनावत अपने दो बाल पुत्रों मयंक व हार्दिक के साथ तथा डोडी, लोहारा, छतीसगढ़ की मुमुक्षु सुश्री नेहा डोसी व मुमुक्षु सुश्री साक्षी भंसाली ने श्रावक-श्राविकाओं से खचाखच भरी सेठिया कोटड़ी में दीक्षा ग्रहण की। श्रीमती रेखा सोनावत नवदीक्षिता साध्वी रामरूचिश्रीजी, उनके सांसारिक पुत्र मयंक सोनावत-बाल मुनि राममूर्ति व हार्दिक रामहंस मुनि बन गए। वहीं छत्तीसगढ़ की सुश्री नेहा डोसी साध्वी राम निभा श्रीजी व सुश्री साक्षी भंसाली नवदीक्षित साध्वी रामसुधा श्रीजी बन गई।

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समता युवा संघ के मंत्री हेमंत सिंगी ने बताया दीक्षा स्थल पर ना कोई माइक न लाइट लेकिन पूर्ण अनुशासन, शांति थी। दीक्षार्थियों के कुछ परिवार के सदस्यों के अपने परिजन को संयम मार्ग पर समर्पित होने पर खुशी व गर्व झलक रहा था वहीं कई परिजनों के परिवारिक मोह बंधन के कारण आसु छलक रहे थे। वरिष्ठ श्रावक सुशील बच्छावत ने बताया कि आचार्य प्रवर रामलालजी ने दोनों बालक मयंक व हार्दिक के तथा बीकानेर की साध्वीश्री सुशीला कंवर ने मुमुक्षु रेखा सोनावत, सुश्री नेहा डोसी व मुमुक्षु साक्षी भंसाली केश लुंचन करने की परम्परा का निवर्हन किया। आचार्य प्रवर रामलालजी के युवाचार्य व आचार्यश्री के पद के दौरान अब तक 436 मुमुक्षुओं ने दीक्षा ग्रहण की है। साधुमार्गी जैन संघ में वर्तमान में 505 मुनि व साध्वीवृंद है। इनमें 87 साधु तथा 418 साध्वियां है। दो सगे भाईयों की एक साथ दीक्षा 11 वर्ष के बाद हुई है। इससे पूर्व गौरव मुनि व लाभा मुनि ने दीक्षा ग्रहण की थी।

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आचार्य प्रवर श्री रामलालजी ने मुमुक्षुओं सहित विभिन्न तरह की तपस्याएं करने वाले श्रावक-श्राविकाओं को पचखान (संकल्प) दिलाया तथा मंगल पाठ सुनाया तथा दीक्षा की देशना दी। मंगलपाठ के दौरान नवकार महामंत्र के पदों को सुनाते हुए आचार्य प्रवर ने कहा कि अरिहंत, सिद्ध, उपाध्याय व आचार्य तथा साधु की शरण लें तथा अपने जीवन को मंगलमय बनाएं। गौतम मुनि, लाघव मुनि व साध्वी सुमेघाश्रीजी ने प्रवचन किए। इन्होंने प्रवचन में कहा कि सांसारिक भोग वस्तुओं व मोहबंधन, अहंकार व ममकार का त्याग कर देव, गुरु की भक्ति करें। दृढ़ संकल्प से भक्ति की शक्ति व संयम के पराक्रम को प्राप्त करें। अनंतकाल के पुण्यों के उदय से दीक्षा, संयम की भावना प्रकट होती है। दीक्षा लेने के बाद पांच महाव्रतों की पालना करते हुए जन्म मरण के बंधन से छूटने व मोक्ष के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए पुरुषार्थ व पूर्ण प्रयास करें। संयम मार्ग में आने वाले झटकारों व फटकारों से कभी भी विचलित नहीं होकर संयम व समता से परमात्मा की साधना, आराधना व भक्ति करें। आत्म कल्याण आत्मानंद की प्राप्ति करें। उन्होंने कहा कि दीक्षा का लक्ष्य वेश परिवर्तन नहीं बल्कि जीवन परिवर्तन है। परमात्मा की आज्ञा के अनुसार जीवन का निवर्हन करें। दीक्षा के दौरान वैराग्य व नवदीक्षित मुनि व साध्वीवृंद के संयममय जीवन के गीत प्रस्तुत किए गए।

देशनोक में 13 जुलाई से शिविर

श्री अखिल भारतीय साधुमार्गी जैस संघ के अध्यक्ष नरेन्द्र गांधी ने नवदीक्षित मुनि व साध्वीवृंद के लिए मंगलकामना की तथा देशनोक में आचार्य प्रवर रामलालजी के चातुर्मास के दौरान लगने वाले शिविरों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 13 से 27 जुलाई तक तत्वानंद तथा 20 से 27 जुलाई तक अणुतरम् शिविर का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने श्रावक-श्राविकाओं से आग्रह किया कि दोनों शिविरों में अपने बच्चों को शामिल करावें ।

 

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