अजित फाउण्डेशन की संवाद श्रृंखला में ‘जीवन पर्यन्त शिक्षा’ पर परिचर्चा



बीकानेर, 19 सितंबर । अजित फाउण्डेशन द्वारा आयोजित संवाद श्रृंखला में “जीवन पर्यन्त शिक्षा: शिक्षा नीति 2020” विषय पर एक महत्वपूर्ण परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में वक्ताओं ने शिक्षा, नैतिकता और नई शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं पर विचार साझा किए।
शिक्षा हमें स्वाभिमानी बनाती है
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए शिक्षाविद् डॉ. मनमोहन सिंह यादव ने कहा कि शिक्षा हमें स्वाभिमानी बनाती है। उन्होंने शिक्षकों के कर्तव्य पर जोर देते हुए कहा कि उनका पहला धर्म अपने विद्यार्थियों में नैतिक संस्कार विकसित करना है। उन्होंने शिक्षा नीति 2020 की सफलता के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया।




जीवन पर्यन्त सीखते रहना जरूरी
मुख्य वक्ता, शिक्षाविद् और साहित्यकार राजेन्द्र जोशी ने ‘जीवन पर्यन्त शिक्षा’ का अर्थ समझाते हुए कहा कि हमें जीवन में हमेशा सीखते रहना चाहिए और खुद को समय के अनुसार अपडेट करते रहना चाहिए, चाहे वह तकनीकी ज्ञान हो या अन्य कोई बदलाव। उन्होंने शिक्षा के साथ-साथ व्यावसायिक हुनर (skills) सीखने पर भी जोर दिया। जोशी ने स्वास्थ्य, साक्षरता और भाषा के महत्व को भी रेखांकित किया और कहा कि डिजिटल साक्षरता आज की जरूरत है। उन्होंने सभी से अपने आस-पास के निरक्षर लोगों को साक्षर बनाने का आग्रह किया।


आयोजन और उद्देश्य
संस्था समन्वयक संजय श्रीमाली ने बताया कि इस कार्यक्रम में बी.एड. के विद्यार्थियों को विशेष रूप से शामिल किया गया, क्योंकि वे ही भविष्य के शिक्षक हैं। इस दौरान शिक्षा से जुड़ी पुस्तकों की एक प्रदर्शनी भी लगाई गई थी। कार्यक्रम के अंत में डॉ. नितिन गोयल ने सभी का धन्यवाद किया और कहा कि ऐसे आयोजनों से युवा पीढ़ी को मुख्यधारा से जोड़ा जा सकता है। कार्यक्रम में मुरली सिंह यादव शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय, उदयरामसर के विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया और सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र दिए गए।