भक्तामर व गुरु इकतीसा का सामूहिक पाठ, बच्चों का शिविर आयोजित



बीकानेर, 28 सितंबर। रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में रविवार को गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर जी , मुनि मंथन प्रभ सागर जी, बालमुनि मीत प्रभ सागर जी, साध्वीश्री दीपमाला व शंखनिधि श्रीजी के सान्निध्य में कई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसी क्रम में महावीर भवन में सामूहिक खीर एकासना और बच्चों का शिविर भी संपन्न हुआ।
सामूहिक पाठ और बाल संस्कार शिविर
खरतरगच्छ युवा परिषद के सचिव विक्रम भुगड़ी ने बताया कि उपासरे में भगवान कुंथुनाथ जी, दादा गुरुदेव जिन कुशल सुरिश्वरजी और क्षमा कल्याणजी की प्रतिमा के आगे भक्तामर और गुरु इकतीसा का सामूहिक पाठ किया गया। खरतरगच्छ महिला परिषद की बीकानेर इकाई की ओर से भी सोमवार व मंगलवार को सुगनजी महाराज के उपासरे में दोपहर तीन से चार बजे तक सामूहिक गुरु इकतीसा का पाठ जारी रहेगा। बच्चों के शिविर में गणिवर्य व मुनिवृंद ने बच्चों को बाल संस्कारों व धर्म क्रियाओं से अवगत करवाया।




प्रवचन में पाप-पुण्य का विवेचन
गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर जी म.सा. ने रविवार को सुगनजी महाराज के उपासरे में नियमित प्रवचन में कहा कि जब तक हमें परमात्मा का शासन समझ में नहीं आता, तब तक हमारी आत्मा की प्रगति नहीं हो सकती। शासन को समझने के पश्चात ही आत्मा के विकास की यात्रा शुरू होती है। उन्होंने पाप और पुण्य का विवेचन करते हुए कहा कि जब शरीर में व्याधि या पीड़ा होती है, तब मन किसी भी क्रिया में नहीं लगता। उन्होंने कहा कि हमने पूर्व भव में किसी को शारीरिक पीड़ा दी होगी, इसी कारण इस भव में हमें उस पीड़ा को भोगना पड़ता है। उन्होंने उदाहरण दिया कि तीर्थंकरों व महापुरुषों को भी पूर्व जन्मों के कर्मों के अनुसार पीड़ा व कष्ट भोगना पड़ा था। गणिवर्य ने जीव को यह संदेश दिया कि पाप व पुण्यों का फल जीव को कई भवों तक मिलता है, इसलिए मनुष्य को चाहिए कि पापों से बचे तथा पुण्य के लिए पुरुषार्थ करें।



इस अवसर पर, कोयम्बटूर के बाल मुनि मीत प्रभ सागर जी के सांसारिक परिवार के विजय कुमार चोरड़िया और धीरज कुमार लूणावत का अभिनंदन खरतरगच्छ युवा परिषद की बीकानेर इकाई अध्यक्ष अनिल सुराणा, कोषाध्यक्ष अनिल पारख, रविन्द्र सिंघवी व महेन्द्र बरड़िया ने किया।

