संथारा मृत्यु को महोत्सव बनाता है- मुनि कमल कुमार



तारा देवी बैद की स्मृति सभा




गंगाशहर, 30 सितंबर । गंगाशहर निवासी संथारा साधिका सुश्राविका श्रीमती तारादेवी बैद की स्मृति सभा आज आयोजित की गई, जिनका 77 दिन का संलेखना संथारा तप कल, 29 सितंबर 2025 को प्रातः 3:38 बजे सानंद संपन्न हुआ था। तारादेवी ने अपनी साधना की शुरुआत 14 जुलाई को की थी, जिसके बाद 6 सितंबर को उन्हें उग्र विहारी तपोमूर्ति मुनि श्री कमल कुमार जी स्वामी ने सेवाकेन्द्र व्यवस्थापिका साध्वी श्री विशदप्रज्ञा जी एवं साध्वी श्री लब्धियशा जी तथा श्रावक – श्राविकाओं की उपस्थिति में तिविहार संथारे का प्रत्याख्यान करवाया गया था।



स्मृति सभा में उद्बोधन देते हुए मुनिश्री कमलकुमार जी ने कहा कि संसार में जैन धर्म ही एकमात्र ऐसा धर्म है जो जीने की कला के साथ मरने की भी कला सिखाता है, और यह संथारा मृत्यु को महोत्सव बनाने की सर्वोत्तम कला है। उन्होंने बताया कि संथारे में न जीने की कामना होती है, न मरने की, बल्कि यह शरीर के बंधन से मुक्ति पाने का चरम और परम उपाय है, जिसे तारा देवी ने उच्च मनोबल और समता-सहिष्णुता के साथ परिसम्पन्न किया।
मुनिश्री ने तारादेवी को धार्मिक, सेवाभावी और सादगीपूर्ण जीवन जीने वाली महिला बताते हुए उनकी आत्मा के मोक्ष गामी बनने की कामना की। इस दौरान मुनि श्री श्रेयांस कुमार और मुनि श्री विमल विहारी ने भी संथारे की अनुमोदना की। स्मृति सभा में आचार्य श्री महाश्रमण जी और साध्वी प्रमुखा श्री विश्रुतविभा जी के पावन संदेश भी प्राप्त हुए। कार्यक्रम में जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, तेयुप, महिला मंडल और नागरिक परिषद् सहित सभी सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने तारादेवी को श्रद्धा सुमन अर्पित किए और उनके परिवार से श्रीमती ललिता देवी बोथरा , श्रीमती कान्ता देवी नाहटा तथा नेमचन्द चोपड़ा ने संथारे की अनुमोदना करते हुए सभी का आभार व्यक्त किया।

