राजराजेश्वरी नगर में वर्धमान ओली तप अभिनंदन समारोह



राजराजेश्वरी नगर, 3 अक्टूबर । युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वीश्री पुण्ययशाजी के सान्निध्य में आज 3 अक्टूबर को तेरापंथ भवन में वर्धमान ओली तप अभिनंदन का एक विशिष्ट कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस समारोह में श्रावक मनोहरलालजी चावत का 66 दिनों तक लगातार आयम्बिल तप पूर्ण करने पर अभिनंदन किया गया।
आयम्बिल तप की महत्ता
साध्वीश्री पुण्ययशाजी ने अपने मंगल उद्बोधन में आयम्बिल तप के विशेष महत्व को समझाया। उन्होंने कहा कि आयम्बिल तप से न केवल कर्मों की निर्जरा होती है, बल्कि यह विघ्न निवारण, उपद्रवों की उपशांति तथा आध्यात्मिक शक्तियों को भी जागृत करता है। इसके अतिरिक्त, यह तप शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य-व्याधियों का शमन करने में भी सहायक है।
उन्होंने ऐतिहासिक उदाहरण देते हुए बताया:




- द्वारिका नगरी की बारह वर्षों तक आयम्बिल तप के कारण रक्षा होती रही।
- राजा श्रेणिक और श्री कृष्णजी की अनेक रानियों ने दीर्घकाल तक यह तप किया।
- जैन धर्मसंघ में साध्वी मीरांजी ने 13 माह तक और मुनि श्री जीवोजी ने वर्धमान ‘ओली-तप’ (एक आयम्बिल से 100 आयम्बिल तक लड़ीबंध तप) पूरा किया।
तपस्वी मनोहरलालजी का अभिनव तप
साध्वीश्री ने बताया कि श्रावक मनोहरलालजी चावत ने 66 दिनों तक लगातार आयम्बिल तप करके वर्धमान ओलीतप की बीस, इक्कीस और बाईस दिन की तीन लड़ियाँ एकसाथ संपन्न की हैं। इस ऐतिहासिक तप के अभिनंदन के लिए राजाराजेश्वरी नगर के श्रावक समाज ने भी सामूहिक रूप से 66 आयम्बिल तप किया। साध्वीश्री ने इस ‘तप से तप के अभिनंदन’ को एक ऐतिहासिक कार्य बताया।



त्याग और ब्रह्मचर्य व्रत
अभिनंदन समारोह के अवसर पर तपस्वी मनोहरलालजी ने जीवन भर के लिए अपने शरीर पर स्वर्ण-चांदी के आभूषण नहीं पहनने का त्याग किया। इसके साथ ही उन्होंने अपनी पत्नी श्रीमती दीपा जी के साथ सजोड़े ब्रह्मचर्य व्रत की साधना स्वीकार की। साध्वीश्री विनितयशाजी ने भी आयम्बिल तप की महत्ता पर प्रकाश डाला और तपस्या के क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। साध्वी वर्धमानयशाजी एवं बोधिप्रभा जी ने गीतिका के माध्यम से तप की अनुमोदना की। सभाध्यक्ष राकेश छाजेड़, सुरेश दक, निर्मल चावत, महिला मंडल एवं परिवार के सदस्यों ने तप-अनुमोदना वक्तव्य दिया और तप-गीत प्रस्तुत किए। मनोज डागा ने साध्वीप्रमुखा श्री जी द्वारा प्रेषित तप-अनुमोदना पत्र का वाचन किया। तेरापंथी सभा, तेयुप एवं महिला मंडल ने तप अभिनंदन-पत्र एवं जैन पट्ट से तपस्वी को सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती वंदना भंसाली ने किया और मंगलपाठ के साथ यह सानन्द संपन्न हुआ।

