भीतर के अवगुण हटाकर आत्मोत्कर्ष का दीप प्रज्वलित करें



बीकानेर , 5 अक्टूबर। बीकानेर के तेरापंथ भवन में आज आचार्य श्री महाश्रमण जी की विदुषी शिष्या शासन श्री साध्वी मंजू प्रभा जी और शासन श्री कुंथू श्री जी के पावन सान्निध्य में बीकानेर महिला मंडल के तत्वावधान में दीपोत्सव पर एक प्रकाशित कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
दीपोत्सव का अर्थ: अंतर का जागरण
साध्वी मंजू प्रभा जी ने उपस्थित सभी महिलाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि दीपोत्सव का पर्व प्रकाश का पर्व है। उन्होंने कहा कि हमें केवल बाहर नहीं, बल्कि भीतर के अवगुणों को दूर करके गुणों को स्वीकार कर अंतर का जागरण करना चाहिए। उन्होंने सम्यकत्व रूपी दीपक को जलाकर आत्मोत्कर्ष करने का प्रयास करने का आह्वान किया। साध्वी कुंथू श्री जी ने फरमाया कि दीया बाहरी प्रकाश और उजास देता है, जो हमारी संस्कृति का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि बाहरी और आध्यात्मिक विकास के लिए भीतर के प्रकाश को रंगीन बनाना जरूरी है, जिसके लिए जीवन में छह गुणों को लाना आवश्यक है:




- आरोग्य: पहला सुख निरोगी काया है। जहाँ रोग नहीं, वहाँ समाधि स्वतः प्राप्त है।
- बोधि लाभ: अंतर दृष्टि जागृत होने पर व्यक्ति हर परिस्थिति में समत्व (संतुलन) प्रतिष्ठित कर लेता है।
- समाधि: शांति से संपन्न व्यक्ति का मानस इतना सध जाता है कि उसकी समाधि में कोई विघ्न नहीं डाल सकता।
- निर्मलता: चेतना के आंगन से कर्मों का कचरा, अहंकार, छलना और नकारात्मक भावों को बुहार कर संयम और तप का दीप जलाएँ।
- तेजस्विता: गंभीरता और निर्मलता जैसे गुण प्राप्त करने के लिए तीर्थंकरों की भक्ति करते हुए स्वयं को तेजस्वी बनाएँ।
- सिद्ध भगवान मुझे सिद्धि प्रदान करें।
साध्वी श्री ने संदेश दिया कि यदि ये गुण जीवन में आ जाएँ, तो यह लक्ष्मी का पर्व दिवाली भीतर की लक्ष्मी को बढ़ाने वाला हो सकता है।



महिला मंडल की प्रतियोगिता और सम्मान
तेरापंथ महिला मंडल द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में तेरापंथ प्रबोध की 25 गाथाओं के आधार पर एक रोचक प्रतियोगिता रखी गई, जिसमें सभी बहनों ने उत्साह के साथ भाग लिया। साथ ही, सावन और भाद्रपद मास में हुई प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार वितरण किया गया और तत्व ज्ञान परीक्षा में भाग लेने वाले प्रतिभागियों का भी सम्मान किया गया। कार्यक्रम का कुशल संचालन किश्ती सेठिया ने किया।
