कबीर की निर्गुण वाणी से गूंजा अजित फाउण्डेशन: ‘मोको कहां ढूंढे रे बंदे…’



बीकानेर, 9 अक्टूबर । अजित फाउण्डेशन द्वारा आयोजित तीन दिवसीय कबीर सत्संग कार्यशाला के दौरान, युवा संगीतकार संजय झुंझ ने कबीर की प्रसिद्ध निर्गुण वाणी “मोको कहां ढूंढे रे बंदे….” सुनाकर सभी श्रोताओं का मन मोह लिया।
झुंझ ने इस अवसर पर कबीर दास जी के संदेश को स्पष्ट करते हुए कहा कि ईश्वर कहीं बाहर नहीं, बल्कि हर सांस में, तुम्हारे पास ही है, उसे बाहर खोजने की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने इसके अलावा “प्रार्थाना दाता से प्रार्थना…” भजन भी सुनाया, जिसमें उन्होंने सभी वर्गों के लिए मंगलकामना के सुर गाए।




प्रशिक्षार्थियों को दिया वादन का ज्ञान
कार्यशाला के दौरान, प्रशिक्षार्थियों को संगीत वादन का प्रारम्भिक ज्ञान भी दिया गया। लोकेश झुंझ ने ढोलकी वादन का प्रशिक्षण देते हुए बताया कि किसी भी वाद्य यंत्र को लगातार प्रयास करने से ही सीखा जा सकता है। संस्था समन्वयक संजय श्रीमाली ने बताया कि इस मौके पर संगीत समूह के सदस्यों ने भी कई मधुर प्रस्तुतियाँ दीं, जिनमें कबीर वाणी “वारी जाऊं रे, बलिहारी जाऊं रे…”, मांड गीत “सेणा रा बावरिया…”, और मीरा का भजन “मीरा मेड़तली…..” शामिल थे। इन प्रस्तुतियों ने सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।कार्यक्रम में सुनीता श्रीमाली, प्रज्ञा, डॉली कुमावत, आशा मोदी, सिद्धार्थ व्यास, निर्मल श्रीमाली सहित अनेक श्रोता उपस्थित रहे।



