मुनि अभयकुमार जी की आत्मा का उत्तरोत्तर विकास हो-मुनि कमलकुमार



गंगाशहर, 16 अक्टूबर। उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमलकुमार जी के पावन सान्निध्य में तेरापंथ भवन में प्रातःकालीन प्रवचन के दौरान दिवंगत मुनि अभयकुमार जी की स्मृति सभा का आयोजन किया गया।




धर्मसंघ को समर्पित जीवन
मुनिश्री कमलकुमार जी ने अपने विचार प्रकट करते हुए फरमाया कि तेरापंथ धर्मसंघ एक विशाल धर्मसंघ है, जिसमें अनेक साधु-साध्वियों और श्रावक-श्राविकाओं ने श्रद्धा व समर्पण भाव से सेवाएँ की हैं। उन्होंने मुनि अभयकुमार जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मुनि अभयकुमार जी ने लंबे समय तक धर्मसंघ की सेवाएँ कीं, सुदूर प्रांतों की यात्राएँ कीं और लंबे-लंबे विहार किए। अपने अंतिम वर्षों में अस्वस्थ रहने के दौरान, उनके सांसारिक भाई मुनिश्री विनय कुमार जी ने लंबे समय तक उनकी व्यवस्थित सेवा की।



आचार्यों का सान्निध्य: उन्होंने आचार्य श्री तुलसी के करकमलों से दीक्षा ग्रहण की थी और उन्होंने आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी और वर्तमान आचार्य श्री महाश्रमण जी का शासनकाल देखा तथा उनकी विशेष कृपा प्राप्त की।
मुनिश्री कमलकुमार जी ने स्मृति सभा में दोहों का संगान करते हुए चार लोगस्स का ध्यान कराया और मुनि अभयकुमार जी की आत्मा के उत्तरोत्तर विकास की मंगल कामना की। इस अवसर पर मुनि श्रेयांस कुमार जी ने भी हार्दिक उद्गार व्यक्त करते हुए दोहों का संगान किया।
तपस्या का प्रत्याख्यान
इसी अवसर पर परिषद् में एकासन, उपवास और बेले की तपस्या के साथ, उपासिका कनक देवी गोलछा ने 25 दिन की तपस्या का प्रत्याख्यान (संकल्प) भी किया।

