बच्चों ने प्रभात फेरियों और रेलियों से राजस्थानी भाषा मान्यता की मांग बुलंद की


बीकानेर, 14 नवंबर 2025। भाषा, साहित्य, संस्कृति और लोक चेतना को समर्पित प्रकल्प ‘राजस्थली’ के बैनर तले राजस्थानी जन जागरण अभियान का आज श्री गुरू हंसोजी धाम लिखमादेसर से आगाज हो गया है। मातृभाषा की मान्यता की मांग में बच्चों के जुनून को देखकर अब आम जन मानस भी भाषाई और सांस्कृतिक जुड़ाव के लिए विद्यार्थियों के साथ जुड़ने लगा है।
शिक्षा की गुणवत्ता और मान्यता का सवाल
आयोजक संस्था मरुभूमि शोध संस्थान के सचिव, साहित्यकार श्याम महर्षि ने बताया कि नई शिक्षा नीति के मसौदे के अनुरूप मातृभाषा राजस्थानी को मान्यता देने और प्राथमिक शिक्षा में इसकी स्वीकृति से शिक्षा की गुणवत्ता में व्यापक सुधार हो सकता है। उन्होंने खेद व्यक्त किया कि व्यापक शब्द-सम्पदा और समृद्ध साहित्यिक परम्परा के बावजूद राजस्थानी को मान्यता से वंचित रखा गया है।



संयोजक, साहित्यकार रवि पुरोहित ने कहा कि जब राजस्थानी को साहित्य अकादमी दिल्ली से मान्यता प्राप्त है, उच्च शिक्षा में पठन-पाठन की व्यवस्था है और राज्य में पृथक अकादमी है, तो प्राथमिक शिक्षा और मान्यता से वंचित रखना जड़ों को कमजोर करने जैसा है।



गांव-ढाणी तक पहुंचा बाल-जुनून
अभियान की समन्वयक, साहित्यकार भगवती पारीक ‘मनु’ ने बताया कि आज लिखमादेसर, बिग्गा, सातलेरां, जैसलसर, अभयसिंहपुरा आदि ग्रामीण क्षेत्रों में, और बाल भारती विद्यालय, श्रीडूंगरगढ़ जैसे शहरी क्षेत्र के विद्यार्थियों ने विद्यालय समय से पूर्व पूरे जोश के साथ प्रभात फेरियां और रेलियां निकालीं। रैलियों के दौरान राजस्थानी मान्यता से जुड़े नारों ने ग्रामीणों को आकर्षित किया और शिक्षित वर्ग का जुड़ाव निरंतर विद्यार्थियों को ऊर्जा दे रहा है।
आम लोगों के अस्तित्व का प्रतीक बना आंदोलन
श्री गुरू हंसोजी धाम लिखमादेसर के पीठाधीश संत श्री सोमनाथ जी ने रैली प्रारंभ करते हुए कहा कि यह आंदोलन अब सिर्फ विद्यार्थियों या साहित्यकारों का नहीं, बल्कि आम लोगों के अस्तित्व का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि ग्रामीणों ने अपने स्तर पर भाषाई और सांस्कृतिक गतिविधियां शुरू करने का मन बना लिया है। धाम के महंत श्री भंवरनाथ ज्याणी के सान्निध्य में निकली इस रैली में युवा जनप्रतिनिधि राधेश्याम सिद्ध, एमएससी अध्यक्ष लूणनाथ सिद्ध, शिक्षाविद लक्ष्मीकांत वर्मा सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे। यह आंदोलन अब आम जन के सहयोग से प्रत्येक गांव-ढाणी तक पहुंचाया जाएगा।








