साध्वी पुण्ययशा जी का पिरामिड वैली ध्यान केंद्र में पदार्पण: ध्यान और शांति की अद्भुत अनुभूति


कनकपुरा/बेंगलुरु, 14 नवंबर । युगप्रधान शांतिदूत महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री पुण्ययशाजी ठाणा-4 ने राजराजेश्वरी नगर का चातुर्मासिक प्रवास संपन्न कर गुरुदेव की आज्ञानुसार हासन-चिकमगलूर की ओर विहार किया है। विहार के क्रम में, साध्वी जी ने आज कनकपुरा स्थित पिरामिड वैली ध्यान केंद्र में पदार्पण किया।
पिरामिड वैली में ऊर्जा और एकाग्रता का अनुभव
साध्वी श्री पुण्ययशाजी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि बेंगलुरु आगमन के समय से ही उनकी इच्छा पिरामिड वैली आने और ध्यान करने की थी, जो आज पूरी हुई। उन्होंने कहा कि केंद्र के अंदर प्रवेश करते ही अद्भूत शांति की अनुभूति हुई। उन्होंने बताया कि जैन धर्म एवं बौद्ध धर्म में प्राचीन काल से ही ध्यान की परम्परा रही है। साध्वी जी ने अनुभव किया कि यहाँ के वाइब्रेशन (ऊर्जा तरंगें), पिरामिड का प्रभाव और शांत वातावरण के कारण ध्यान में गहराई में आसानी से जाया जा सकता है और एकाग्रता लम्बे समय तक बनी रह सकती है। ध्यान करने के पश्चात उन्होंने शरीर में एक विशेष प्रकार की ऊर्जा और आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति व्यक्त की।
विहार सेवा और सहभागिता
रास्ते की सेवा एवं पिरामिड वैली आने की योजना में जितेंद्रजी घोषल और विक्रमजी दुगड़ परिवार का विशेष सहयोग रहा। इस विहार सेवा में राजराजेश्वरी नगर से सभा उपाध्यक्ष राजेशजी छाजेड़, सुशीलजी भंसाली छापर, हेमराज सेठिया, तेयुप से अध्यक्ष विक्रम महेर, महेश मांडोत, विपिन पितलिया, सौरभ दुगड़, विमल मरोठी, महिला मंडल से सरोज बाई सेठिया, विजयनगर से अनिलजी मांडोत, कैलाश नंगावत, दीपकजी नंगावत एवं अन्य श्रावक-श्राविका समाज ने उत्साहपूर्वक सहभागिता दर्ज कराई।











