राजस्थान में ‘ईमेल बम’ की दहशत- अजमेर, बाड़मेर और धौलपुर कलेक्ट्रेट को उड़ाने की धमकी; पुलिस महकमे में मचा हड़कंप


अजमेर/जयपुर, 23 दिसम्बर। राजस्थान में सरकारी कार्यालयों को निशाना बनाने वाली फर्जी धमकियों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। मंगलवार सुबह एक बार फिर सुरक्षा एजेंसियों के हाथ-पांव उस वक्त फूल गए जब अजमेर, धौलपुर और बाड़मेर जिला कलेक्ट्रेट कार्यालयों को बम से उड़ाने के धमकी भरे ई-मेल प्राप्त हुए। सुबह करीब 11:45 बजे आए इन ई-मेल्स के बाद तीनों जिलों में रेड अलर्ट जारी कर दिया गया और आनन-फानन में कलेक्ट्रेट परिसरों को खाली करवाया गया।


उर्स के बीच अजमेर कलेक्ट्रेट को तीसरी बार धमकी
अजमेर जिला कलेक्टर लोकबंधु के आधिकारिक ईमेल पर आए इस संदेश ने प्रशासन को अतिरिक्त सतर्क कर दिया है, क्योंकि शहर में वर्तमान में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का उर्स चल रहा है। एडिशनल एसपी सिटी हिमांशु जांगिड़ के अनुसार, सूचना मिलते ही बम निरोधक दस्ता और डॉग स्क्वॉड मौके पर पहुंचे। गौरतलब है कि अजमेर कलेक्ट्रेट को इस महीने में यह तीसरी बार (4, 10 और 23 दिसंबर) धमकी मिली है, जिससे सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं।


बाड़मेर: तमिलनाडु से आया मेल, खाली कराया परिसर
सरहदी जिले बाड़मेर में भी स्थिति तनावपूर्ण रही। पुलिस अधीक्षक नरेंद्र सिंह मीणा ने बताया कि प्रारंभिक जांच में धमकी भरा मेल तमिलनाडु से आने की बात सामने आई है। एहतियात के तौर पर पूरे कलेक्ट्रेट परिसर को सील कर दिया गया और चप्पे-चप्पे की तलाशी ली गई। पुलिस और खुफिया एजेंसियां अब इस मेल के आईपी एड्रेस को ट्रैक करने में जुटी हैं ताकि शरारती तत्वों का पता लगाया जा सके।
धौलपुर: एसपी ऑफिस तक रही पुलिस की घेराबंदी
धौलपुर कलेक्ट्रेट में धमकी मिलते ही हड़कंप मच गया। सुरक्षा के मद्देनजर न केवल कलेक्ट्रेट बल्कि उससे सटे पुलिस अधीक्षक (SP) कार्यालय को भी खाली करवा लिया गया। एसपी विकास सांगवान स्वयं भारी पुलिस बल के साथ मौके पर मौजूद रहे। जांच में सहायता के लिए भरतपुर से डॉग स्क्वॉड टीम बुलाई गई। घंटों चली सघन तलाशी के बाद फिलहाल किसी भी संदिग्ध वस्तु के नहीं मिलने पर प्रशासन ने राहत की सांस ली है।
साइबर सेल की जांच तेज
राजस्थान पुलिस की साइबर सेल अब इन धमकियों के पैटर्न की जांच कर रही है। पिछले कुछ हफ्तों में राज्य के कई प्रमुख कार्यालयों को इसी तरह के ईमेल प्राप्त हुए हैं, जो बाद में ‘हॉक्स’ (झूठी अफवाह) साबित हुए। पुलिस अधिकारियों का मानना है कि यह किसी संगठित गिरोह का काम हो सकता है जो केवल दहशत फैलाने के उद्देश्य से ऐसा कर रहा है।
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