नागरी भण्डार में शरद महोत्सव पर त्रिभाषा कवि सम्मेलन एवं मुशायरा में शानदार रचना पाठ



बीकानेर, 7 अक्टूबर । नगर की समृद्ध साहित्यिक परंपरा को समर्पित संस्थान श्री जुबिली नागरी भण्डार सरस्वती मंदिर परिसर में, नागरी भण्डार पाठक मंच द्वारा शरद पूर्णिमा के अवसर पर ‘शरद महोत्सव’ का शानदार आयोजन किया गया। यह आयोजन देर रात्रि तक चला और इसे राष्ट्रीय कवि चौपाल के संस्थापक कीर्तिशेष नेमचंद गहलोत को समर्पित किया गया।
तीन पीढ़ियों के रचनाकारों का संगम
प्रेस प्रभारी और शायर-कहानीकार क़ासिम बीकानेरी ने बताया कि इस महोत्सव में नगर की तीन पीढ़ियों के रचनाकारों ने हिंदी, उर्दू एवं राजस्थानी भाषा में रचनाएँ प्रस्तुत करते हुए त्रिभाषा कवि सम्मेलन एवं मुशायरा का आयोजन किया।




अध्यक्षता: वरिष्ठ शायर ज़ाकिर अदीब ने की। उन्होंने अपनी ग़ज़ल, “कितना है पुरवक़ार शरद पूर्णिमा का चांद” के शेर सुनाकर श्रोताओं की खूब तालियाँ बटोरीं।
मुख्य अतिथि: बीकानेर पश्चिम के विधायक जेठानंद व्यास थे।
विशिष्ट अतिथि: प्रसिद्ध सितार वादक डॉक्टर असित गोस्वामी और झुंझुनू के जनसंपर्क अधिकारी हिमांशु सिंह थे।



रचना पाठ की प्रमुख प्रस्तुतियाँ
कमल रंगा ने अपनी राजस्थानी रचना से श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। डॉ. असित गोस्वामी ने “इन एबिलिटी” शीर्षक से अंग्रेजी की रचना प्रस्तुत की, जिसे खूब सराहा गया। हिमांशु सिंह ने “ज़रूरतें तय करती है वफ़ा की किश्तें” रचना से काव्य गोष्ठी में नया रंग भरा। बुनियाद हुसैन ज़हीन की ग़ज़ल, “सच है कि है खिलखिलाता झूट,” पसंद की गई। संजय पुरोहित ने “सबके अपने-अपने मौन हैं अपनी अपनी पीड़ाएं” रचना से श्रोताओं को गहरे चिंतन-मनन के लिए मजबूर किया। श्रोताओं की फ़रमाइश पर उन्होंने स्वर्गीय की कालजयी रचना ‘पणिहारी’ के कुछ अंश भी सुनाए। शायर क़ासिम बीकानेरी ने अपनी ग़ज़ल के शे’र, “क़मर के हुस्न की क्या बात होती है वल्लाह/ नदी में, झील में, सागर में जब भी दिखता चॉंद” के प्रस्तुतीकरण से शरद पूर्णिमा के चाँद के विभिन्न रूप सामने रखे। शायर अमित गोस्वामी ने “इक तरफ मेरी अना इक तरफ उसका ग़ुरुर” रचना से श्रोताओं की भरपूर तारीफ़ें पाईं। समारोह का आगाज़ प्रसिद्ध संगीतज्ञ गौरी शंकर सोनी ने माँ शारदे की वंदना से किया। पूर्व पार्षद नरेंद्र सोलंकी ने भी गीत प्रस्तुत कर श्रोताओं को आनंदविभोर किया। राजेंद्र जोशी, राजाराम स्वर्णकार, गंगा विशन बिश्नोई ‘ब्रहमा’, असद अली असद, शकील ग़ौरी सहित अनेक रचनाकारों ने भी अपनी रचनाओं से मुशायरा में समा बाँधा। कार्यक्रम का सफल एवं सरस संचालन संजय पुरोहित और क़ासिम बीकानेरी ने संयुक्त रूप से किया। अंत में कमल रंगा ने सभी का आभार ज्ञापित किया और प्रसाद वितरण किया गया।
