गंगाशहर में आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी समारोह मनाया गया

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मुनिश्री कमलकुमार ने दी अमन-चैन की शिक्षा

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गंगाशहर, 05 अगस्त। आचार्य श्री भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष के अंतर्गत तेरापंथ भवन में त्रिदिवसीय कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम के पहले दिन उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमलकुमार जी ने आचार्य भिक्षु के जीवनकाल के अंतिम भाद्रपद की शिक्षाओं पर प्रकाश डाला।
मुनिश्री कमलकुमार जी ने अपने प्रेरणादायी वक्तव्य में फरमाया कि “आचार्य भिक्षु की शिक्षाओं को आत्मसात करने से न केवल संघ और समाज में, बल्कि परिवारों में भी अमन-चैन का वातावरण बन सकता है। वे एक संघ के अनुशास्ता थे जिन्होंने भारीमाल जी को अपना उत्तराधिकारी बनाया और सबसे पहली शिक्षा दी कि उन्हें मेरी तरह ही मानना चाहिए।”
मुनिश्री ने आचार्य भिक्षु की प्रमुख शिक्षाओं को रेखांकित करते हुए कहा कि आचार्य भिक्षु की शिक्षाओं में आपस में एक दूसरे से हेत रखना, किसी के अवगुण नहीं देखना, दीक्षा देने से पहले योग्यता का ध्यान रखना, संख्या बढ़ाने से संघ का प्रभुत्व नहीं बढ़ता, धर्मसंघ से अलग होने वाले के साथ संपर्क न रखना प्रमुख है। मुनिश्री ने इस अवसर पर आज के दिन के लिए विशेष गीतका निर्माणकर संगान किया।

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सेवा केन्द्र व्यवस्थापिका साध्वीश्री विशद्प्रज्ञा जी ने कहा आचार्य भिक्षु एक क्रान्तिकारी पुरूष थे। उन्होंने ऐसी धर्म क्रान्ति की कि तेरापंथ का उदय हो गया। जीवन भर पुरूषार्थ की लो जलती रही और पूर्ण सजग अवस्था में सिरीयारी में अंतिम सांस ली। आज सिरीयारी तीर्थधाम बन गया। हजारों लाखों लोग श्रद्धा से ऊँ भिक्षु का जाप करते है।
सााध्वी श्री लब्धिशाजी ने कहा आचार्य भिक्षु एक असाधारण पुरूष थे। जन्म से लेकर मृत्यु तक उनका जीवन असाधारण घटनाओं से ओतप्रोत रहा। आचार्य भिक्षु सिंह पुरूष थे। सिंह की तरह वे पराक्रमी थे। 77 वर्ष की उम्र में भी वे प्रतिदिन व्याख्यान देना गोचरी जाना, खड़े खड़े प्रतिक्रमण करना उनकी दिनचर्या का अंग था। सिंह की तरह ही बने बनाए रास्ते पर नहीं चले। उन्होंने सत्य का मार्ग स्वीकार किया। सिंह की तरह कभ्ज्ञी उन्होंने विरोधियों, आलोचकों को पीछे मुड़कर नहीं देखा उनकी परवाह नहीं की।

साध्वी विघीप्रभा जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु सत्य की राह पर चले और सत्य का संदेश दिया। साध्वियों में समूहगीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में मुनिश्री श्रेयोस कुमार , मुनि मुकेश कुमार एवं गंगाशहर के युवा गायकों ने मुनिश्री दिनेश कुमार जी द्वारा रचित गीतिका का संगान किया। साध्वियों में समूहगीत प्रस्तुत किया। दूगड ने आचार्य भिक्षु की जीवन झांकी अवलोकन की प्रेरणा दी। जतनलाल संचेती ने रात्रि जाप की व्यवस्थित सूचना दी। मुनिश्रेयोस कुमार जी ने 8 विनय चापड़ा ने 17 सारिका चोपड़ा ने 17 प्रियंका रांका ने 17 तारादेवी बैद ने 54 दिन की तथा अन्य अनेक लोगों में एकाशन आयम्बिल उपवास बेले तेले के प्रत्याख्यान किये। कार्यक्रम के अंत में संघगान का व्यवस्थित संगान किया गया। गंगाशहर से 4 तारीख को दो बसें सिरियारी कार्यक्रम के लिए रवाना हुईं, जिसकी जानकारी मनोहर लाल नाहटा ने दी।

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