अंता विधानसभा उपचुनाव: नरेश मीणा को बड़ा झटका, कांग्रेस ने फिर जताया प्रमोद जैन भाया पर भरोसा



बारां/जयपुर, 8 अक्टूबर। राजस्थान की अंता विधानसभा सीट पर उपचुनाव की रणभेरी बज चुकी है, और कांग्रेस ने अपनी रणनीति साफ कर दी है। पार्टी ने पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया को एक बार फिर टिकट थमा दिया है, जिससे युवा नेता नरेश मीणा को करारा झटका लगा है। नरेश मीणा ने हाल ही में राहुल गांधी को पत्र लिखकर दावेदारी पेश की थी, लेकिन हाईकमान ने अनुभवी भाया पर भरोसा जताते हुए उन्हें मैदान में उतारने का फैसला लिया। यह फैसला अंता की सियासी गलियारों में हलचल मचा रहा है, जहां मीणा समुदाय का वोट बैंक निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
घटना का विवरण
चुनाव आयोग ने 6 अक्टूबर को 7 राज्यों की 8 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की घोषणा की, जिसमें राजस्थान की अंता सीट भी शामिल है। यहां 11 नवंबर को मतदान होगा, जबकि 14 नवंबर को नतीजे आएंगे। अधिसूचना 13 अक्टूबर को जारी होगी। यह सीट मई 2025 में खाली हुई थी, जब भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा को 20 साल पुराने SDM को पिस्टल दिखाने के मामले में सजा सुनाई गई और उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई।
कांग्रेस ने 8 अक्टूबर को प्रमोद जैन भाया को उम्मीदवार घोषित किया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा, “प्रमोद जैन भाया जनसेवा के प्रति समर्पित हैं। अंता की जनता उनके अनुभव और कार्यों को सराहेगी।” डोटासरा ने भाया की जीत को पार्टी की मजबूती का प्रतीक बताया।




नरेश मीणा का दावा: जेल से रिहा होने के बाद (सितंबर 2025 में हाईकोर्ट से जमानत मिली) नरेश मीणा ने 7 अक्टूबर को सोशल मीडिया पर राहुल गांधी को संबोधित पत्र जारी कर अंता से टिकट की मांग की। उन्होंने कहा, “मैं पार्टी को मजबूत बनाने के लिए चुनाव लड़ना चाहता हूं।” मीणा ने भाया पर भ्रष्टाचार के पुराने आरोप दोहराए और मीणा वोट बैंक को भुनाने की कोशिश की। लेकिन हाईकमान ने मीणा की बजाय भाया को चुना, जिसे मीणा समर्थकों ने ‘अनुभवहीन फैसला’ करार दिया।
भाया की दावेदारी: भाया ने भी दावेदारी पेश की थी और कहा, “अंता मेरी कर्मभूमि है। जनता का भरोसा वापस लौटाऊंगा।” वे 2003 में निर्दलीय, 2008, 2013 और 2018 में कांग्रेस से विधायक रह चुके हैं, साथ ही पिछली गहलोत सरकार में खान एवं गोपालन मंत्री थे।
भाजपा की रणनीति: भाजपा ने अभी उम्मीदवार घोषित नहीं किया, लेकिन वसुंधरा राजे समर्थक कंवरलाल की सीट होने से उनके किसी करीबी को मौका मिल सकता है। अंता भाजपा का गढ़ रही है।



नरेश मीणा कौन हैं?
पृष्ठभूमि: नरेश मीणा युवा छात्र नेता और पूर्व कांग्रेस कार्यकर्ता हैं। वे लंबे समय से प्रमोद जैन भाया के खिलाफ मुखर रहे हैं—भ्रष्टाचार के आरोप लगाए, उनके घर के बाहर प्रदर्शन किए, यहां तक कि मुकदमे भी झेले। 2024 के देवली-उनियारा उपचुनाव में निर्दलीय लड़े, जहां कांग्रेस हारी। SDM थप्पड़ मामले में 8 महीने जेल काटी, जिससे सहानुभूति बढ़ी।
प्रभाव: मीणा का मीणा समुदाय (लगभग 30,000 वोटर) पर असर है। जेल से बाहर आते ही अंता में सर्वे शुरू किया, लेकिन टिकट न मिलने से निर्दलीय लड़ने के संकेत दिए। राजनीतिक जानकार कहते हैं, “यह मीणा के लिए लॉन्चिंग पैड हो सकता था, लेकिन हाईकमान ने अनुभव को तरजीह दी।”
प्रमोद जैन भाया कौन हैं?
पद और अनुभव: अंता से चार बार विधायक, पिछली कांग्रेस सरकार में मंत्री। माली समुदाय (लगभग 40,000 वोटर) में मजबूत पकड़। 2023 चुनाव में भाजपा के कंवरलाल से 5,861 वोटों से हारे (कांग्रेस: 81,529 वोट, भाजपा: 87,390 वोट)।
प्रभाव: अंता में उनका दबदबा रहा है, लेकिन नरेश मीणा जैसे विरोधियों ने छवि खराब करने की कोशिश की। 2024 लोकसभा में उनकी पत्नी उर्मिला जैन भी हार गईं। फिर भी, पार्टी का भरोसा भाया पर बरकरार है ।
सियासी समीकरण
अंता माली बाहुल्य सीट है, जहां 2023 में 80.35% मतदान हुआ। भाजपा का गढ़, लेकिन कांग्रेस का मजबूत आधार। नरेश मीणा निर्दलीय उतरते हैं तो वोट बंटवारा हो सकता है, जो भाजपा को फायदा पहुंचा सकता है। जानकारों का मानना है, “मीणा का झटका कांग्रेस के लिए चुनौती, लेकिन भाया का अनुभव ट्रंप कार्ड।” उपचुनाव राजस्थान सरकार की लोकप्रियता का परीक्षण बनेगा, खासकर पिछले उपचुनावों में कांग्रेस की हार के बाद।
प्रतिक्रियाएं
कांग्रेस: डोटासरा ने भाया को बधाई दी, जबकि सचिन पायलट ने कहा, “भाया अनुभवी हैं, नरेश का भविष्य उज्ज्वल।” मीणा समर्थकों में नाराजगी।
भाजपा: चुप्पी साधे, लेकिन वसुंधरा खेमे से उम्मीदवार की चर्चा।
सोशल मीडिया: #AntaByElection ट्रेंडिंग, मीणा समर्थक भाया पर हमलावर।
उपचुनाव की तैयारी तेज है। अधिक अपडेट्स के लिए चुनाव आयोग या पार्टियों की आधिकारिक वेबसाइट देखें। यह मुकाबला राजस्थान की सियासत को नया मोड़ दे सकता है।
