बॉम्बे हाईकोर्ट का अहम फैसला: नाबालिग के साथ यौन संबंध, सहमति हो या न हो, रेप ही माना जाएगा



नागपुर, 21 अक्टूबर 2025: बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया कि नाबालिग के साथ किसी भी प्रकार का यौन संबंध, चाहे वह सहमति से हो या नहीं, कानूनन बलात्कार (रेप) की श्रेणी में आता है। जस्टिस निवेदिता मेहता की पीठ ने वर्धा जिले के हिंगणघाट निवासी 38 वर्षीय ड्राइवर की अपील खारिज करते हुए उसकी 10 साल की सजा को बरकरार रखा। यह फैसला नाबालिगों के खिलाफ यौन अपराधों पर कठोर रुख को दर्शाता है।
मामले का विवरण:




आरोप: आरोपी ने 5 और 6 साल की दो मासूम बच्चियों को अमरूद का लालच देकर उनके साथ यौन उत्पीड़न का प्रयास किया।
अदालत का रुख: जस्टिस मेहता ने कहा कि नाबालिग के मामले में सहमति का कोई महत्व नहीं है। जैसे ही कोई अंग पीड़िता के निजी अंग में प्रवेश करता है, वह अपराध पूर्ण माना जाता है, चाहे पेनिट्रेशन की गहराई कितनी भी हो।
सजा: आरोपी को 10 साल की सजा को अदालत ने उचित ठहराया और इसमें किसी बदलाव से इनकार किया।



कानूनी महत्व:
यह फैसला पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) के तहत नाबालिगों के खिलाफ यौन अपराधों को और सख्ती से लागू करने की दिशा में एक कदम है। अदालत ने स्पष्ट किया कि नाबालिगों के साथ यौन संबंध की प्रकृति या सहमति की स्थिति अपराध की गंभीरता को कम नहीं करती।

